बुरी संगति से दुर्गति -'दुसंग भले ही कितना मधुर एवं सम्मोहक लगे ,किंतु उसका यथार्थ महाविष की भांति संघातक होता है | '
एक चित्रकार को किसी अत्यन्त सौम्य किशोर का चित्र बनाना था | ऐसे लड़के की तलाश में चित्रकार देश -विदेश में वर्षों तक मारा -मारा फिरा | बहुत कठिनाई से उसे एक ऐसा लड़का मिला ,जिसके रोम -रोम से सज्जनता टपकती थी | उसे सामने बिठाकर चित्र बनाया गया |चित्र बहुत ही सुंदर बना | उसे बाजार में बहुत पसंद किया गया ,भारी बिक्री हुई | वर्षों बाद चित्रकार को सूझा कि वह एक अत्यंत बुरे और दुष्ट भाव -भंगिमा वाले अपराधी का चित्र बनायेगा | इसके लिये वह अपराधियों के अड्डे ,बंदीगृह और दुराचारियों के आवास स्थानों में भ्रमण करने लगा | अंत में एक बड़ी डरावनी शक्ल -सूरत का मनुष्य मिला | चित्रकार ने उसका चित्र बनाया और वह भी बहुत बिका | सज्जनता और दुष्टता की दो परस्पर विरोधी प्रतिकृतियों का यह अनोखा जोड़ा ,चित्र जगत में बहुत विख्यात हो गया | एक दिन वही दुष्ट ,दुराचारी चित्रकार से मिलने जा पहुंचा | चित्रकार ने उसका परिचय पूछा तो उसने कहा -"यह दोनों चित्र मेरे ही आपने बनाये हैं ,जब मैं बालक था तब सौम्य था और जब अधेड़ हुआ तो ऐसा भयंकर दुष्ट हो गया | चित्रकार ने पूछा -"तुम इस प्रकार कैसे इतने परिवर्तित हो गये ?"अधेड़ की आँखे बरसने लगीं | रोते हुए बोला -"बुरी संगति ने मेरी दुर्गति कर दी |
एक चित्रकार को किसी अत्यन्त सौम्य किशोर का चित्र बनाना था | ऐसे लड़के की तलाश में चित्रकार देश -विदेश में वर्षों तक मारा -मारा फिरा | बहुत कठिनाई से उसे एक ऐसा लड़का मिला ,जिसके रोम -रोम से सज्जनता टपकती थी | उसे सामने बिठाकर चित्र बनाया गया |चित्र बहुत ही सुंदर बना | उसे बाजार में बहुत पसंद किया गया ,भारी बिक्री हुई | वर्षों बाद चित्रकार को सूझा कि वह एक अत्यंत बुरे और दुष्ट भाव -भंगिमा वाले अपराधी का चित्र बनायेगा | इसके लिये वह अपराधियों के अड्डे ,बंदीगृह और दुराचारियों के आवास स्थानों में भ्रमण करने लगा | अंत में एक बड़ी डरावनी शक्ल -सूरत का मनुष्य मिला | चित्रकार ने उसका चित्र बनाया और वह भी बहुत बिका | सज्जनता और दुष्टता की दो परस्पर विरोधी प्रतिकृतियों का यह अनोखा जोड़ा ,चित्र जगत में बहुत विख्यात हो गया | एक दिन वही दुष्ट ,दुराचारी चित्रकार से मिलने जा पहुंचा | चित्रकार ने उसका परिचय पूछा तो उसने कहा -"यह दोनों चित्र मेरे ही आपने बनाये हैं ,जब मैं बालक था तब सौम्य था और जब अधेड़ हुआ तो ऐसा भयंकर दुष्ट हो गया | चित्रकार ने पूछा -"तुम इस प्रकार कैसे इतने परिवर्तित हो गये ?"अधेड़ की आँखे बरसने लगीं | रोते हुए बोला -"बुरी संगति ने मेरी दुर्गति कर दी |