25 September 2020

WISDOM ------

   महान  संत  सूरदास जी  के  जीवन  की  घटना  है --  एक बार  वे  हरिनाम  गाते  हुए  जा  रहे  थे   l   नेत्रहीन  होने  के  कारण   वे  मार्ग  में  एक  गहरे  कुएं  में  गिर  गए  l   सुनसान  क्षेत्र  था  l   आसपास   कोई  व्यक्ति  भी  नहीं  था  ,  जो   उनकी  मदद  करता  l   वे  बार - बार  आवाज  भी  लगाए  जा  रहे  थे  और  ईश्वर  का  स्मरण  भी  करते  जा  रहे  थे  l   थोड़ी  देर  बाद  एक  बालक  ने  कुएं  में  प्रवेश  कर  के   उन्हें   सकुशल  बाहर   निकाला  l   उस  बालक  के  पावन  स्पर्श  से   वे  पहचान  गए  कि   वह  बालक  और  कोई  नहीं , वरन  उनके  आराध्य  स्वयं   भगवान  श्रीकृष्ण  हैं  ,  जो  उन्हें  बचाने   आये  हैं   l   उन्होंने  उनका  हाथ  पकड़  लिया  l   कहने  पर  भी  सूरदास जी  उनका  हाथ     नहीं  छोड़  रहे  थे  l  भगवान  ने  झटके  से  हाथ  छुड़ा  लिया   और  चलने  लगे  l   इस  पर  सूरदास जी  ने  कहा ---- ' हाथ  छुड़ाये   जात   हो  , निबल  जान  के  मोहि  l   हिरदय  से  जब  जाओगे,  मरद  कहोंगो   तोहि   l l      सूरदास जी  के  इन  वचनों  को  सुनकर   भगवान  श्रीकृष्ण  फिर  सदा   उनके  साथ  ही  रह  गए   एवं   उनके  हृदय  में  निवास  करने  लगे  l