एक बार एक शिष्य द्वारा अपने गुरुदेव से यह पूछे जाने पर कि मनुष्य को पुरुषार्थ क्यों करना पड़ता है ? भगवान अपने अनुदान देकर उन्हें पीड़ा - कष्ट से बचाता क्यों नहीं ?
संत बोले --- वत्स ! यह संसार विधि - विधानों से चलता है l याचक , भिखारी तो कई हैं, पर यदि विधाता ने कुपात्रों पर व्यर्थ का वितरण आरम्भ कर दिया तो कर्म की , स्वावलंबन और आत्म सुधार की कोई आवश्यकता ही शेष नहीं रह जाएगी l
संत बोले --- वत्स ! यह संसार विधि - विधानों से चलता है l याचक , भिखारी तो कई हैं, पर यदि विधाता ने कुपात्रों पर व्यर्थ का वितरण आरम्भ कर दिया तो कर्म की , स्वावलंबन और आत्म सुधार की कोई आवश्यकता ही शेष नहीं रह जाएगी l