5 July 2020

WISDOM -----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है ---- "  मनुष्य  की  धर्म , न्याय ,  नीति   में  अभिरुचि  होनी  चाहिए  l  उसके  लिए  वह  सहज  वृति   है  l   यदि  इस  दिशा  में  प्रगति  न  हो  पाई   तो  अंतत:  मनुष्य  टूट  जाता  है   और  उसका  जीवन  निस्सार  हो  जाता  है  l "
 आचार्य श्री  लिखते  हैं --- ' धूर्तता  के  बल  पर   आज  कितने  ही  अपराधी  प्रवृति  के  लोग   क़ानूनी  दण्ड   से  बच  निकलने  में  सफल  हो  जाते  हैं   लेकिन  असत्य  का  आवरण   अंतत:  फटता  ही  है  l  जनमानस  में  व्याप्त  घृणा  का  सूक्ष्म  प्रभाव   उस  मनुष्य  पर   अदृश्य  रूप  से   पड़ता  है  l  उसकी  आत्मा  उसे  धिक्कारती  है   और  जिसकी  आत्मा  धिक्कारेगी   उसके  लिए  देर - सबेर  सभी  कोई  धिक्कारने  वाले  बन  जायेंगे  l  ऐसी  धिक्कार  एकत्रित  कर  के   यदि  मनुष्य  जीवित  भी  रहा   तो  उसका  जीवन  न  जीने  के  बराबर  है  l   जो  लोग  इनसे  लाभ  उठाते  हैं  ,  वे  भीतर  ही  भीतर  उनसे  घृणा  करते  हैं   और  समय  आने  पर  शत्रु  बन  जाते  हैं  l
विपुल  साधन - संपन्न  होते  हुए  भी  व्यक्ति   इसी  कारण  सुख - शांति  पूर्वक  नहीं  रह  पाते   क्योंकि   उन  उपलब्धियों  के   मूल  में   छुपी   अनैतिकता  व्यक्ति  की  चेतना  को   विक्षुब्ध  किए   रहती  है  l '