12 March 2018

WISDOM ----------

 जागरूकता  और  प्रखरता  का  अद्भुत  समन्वय  अंगद  के  चरित्र  में  देखने  को  मिलता  है  l  रावण  के  मित्र  बालि  के  पुत्र  होने  के  नाते  प्रभु  ने  उन्हें  दूत  बनाकर  भेजा  था   l  परस्पर  उत्तेजक  संवाद  के  बाद  जब  रावण  अंगद  के  पैरों  को  भी  हिला  नहीं  पाया  ,  तो  उसने  एक   कूटनीतिक    चाल   चली  l 
 रावण  ने  कहा --- अंगद  जिस  राम  ने  तेरे  पिता  को  मारा  , तू  उन्ही  की  सहायता  कर  रहा  है  l  मेरे  मित्र  का  पुत्र  होकर  भी  तू  मुझसे  बैर  कर  रहा  है  l
  अंगद  हँसा  और  बोला --- रावण !  अन्यायी  से  लड़ना  और  उसे  मारना  ही  सच्चा  धर्म  है  ,  चाहे  वह  मेरे  पिता  हों  या  आप  ही  क्यों  न  हों  l "
  अंगद  के  तेजस्वी शब्द  सुनकर  रावण  से  उत्तर  देते  नहीं  बना   l