आज संसार में युद्ध , महामारी , प्राकृतिक आपदाएँ हैं , इन समस्याओं को पहले ही भांपते हुए , मानव की व्यथा को जानते हुए भगवान बुद्ध ने मानव जाति को चेताया था कि यदि बुद्धि को शुद्ध न किया गया तो परिणाम भयावह होंगे l उन्होंने कहा था ---- ' बुद्धि के दो ही रूप संभव हैं --- 1. कुटिल और 2. करुण l बुद्धि यदि कुसंस्कारों में लिपटी है , स्वार्थ के मोहपाश एवं अहं के उन्माद से पीड़ित है तो उससे केवल कुटिलता ही निकलेगी , परन्तु इसे यदि शुद्ध किया जा सका तो इसी कीचड़ में करुणा के फूल खिल सकते हैं l बुद्धि अपनी अशुद्ध दशा में इनसान को शैतान बनाती है तो इसकी परम पवित्र शुद्ध दशा में इनसान बुद्ध बनता है , उसमें भगवत्ता अवतरित होती है l वह संवेदनशील होता है l संवेदना की आज संसार को सबसे ज्यादा जरुरत है l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- वर्तमान समाज में शैतानियत को अत्याधिक प्रतिष्ठा दी गई है l इसे स्टेटस सिंबल के रूप में परोसा जा रहा है l मन के अंदर के शैतान को उभारने एवं बढ़ाने के लिए समाज में तमाम चीजें विद्यमान हैं l विष को अमृत का सम्मान मिल गया है l शैतान साधुवेश में स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहा है l विचारों एवं भावनाओं को कलुषित कर के इसे अपराधी बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है l सिनेमा के हिंसक दृश्य अंदर के शैतान को पोषण प्रदान करते हैं और ये दृश्य कई बड़े अपराधों का कारण बनते हैं l "