31 January 2024

WISDOM -----

      पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- "  नियमितता  ही  जीवन  है  l   सूर्य  एक  नियमितता  लिए  हुए   उदय  एवं  अस्त  होता  है  l   पृथ्वी  , चंद्रमा  गृह , तारे   सभी  निश्चित  गति  से   सुसंचालित  हैं  l कीड़े -मकोड़ों  और  पक्षियों  में   यह  विशेषता  पाई  जाती  है  कि   वे  अपने  भीतर  की  किसी  अज्ञात  घड़ी  के  मार्गदर्शन  से   अपनी  गतिविधियाँ  व्यवस्थित   रखते  हैं   l  मुर्गा  समय  पर  बांग  देता  है  , चमगादड़  रात  को  ही  उड़ता  है  l "    प्रकृति   के  नियम  इतने  अटल  हैं   कि  वे  किसी  देवता , और  ईश्वर  के  लिए  भी  नहीं  बदलते  l    दीपावली  के  संबंध  में  कथा  है ----  जब  14 वर्ष  की  अवधि  समाप्त  कर   भगवान  राम  वन  से  अयोध्या  लौटे   थे  , तब  उस  दिन  अमावस्या  की  रात्रि  थी  l  भरत  ने  सूर्य  से  प्रार्थना  की  कि  मेरे  भाई   14  वर्ष  बाद  घर  आ  रहे  हैं  ,  तुम  रात्रि  में  प्रकाश  कर  दो   l  पर  सूर्य  नियम  से  बंधे  थे  , उन्होंने  मना  कर  दिया  कि  मैं  नियम  के विरुद्ध  कुछ  नहीं  कर  सकता  l   फिर  उन्होंने  चंद्रमा  से  प्रार्थना  की  कि  तुम  ही   प्रकाशित  हो  जाओ  ,  पर  चंद्रमा  भी  विवश  थे  l  प्रकृति  के  नियम  को  बदलने  का  साहस  उनमें  भी  नहीं  था  , इस  विवशता  पर  उनकी  आँखों   में  आँसू  आ  गए  l  आँसू  गिरने  से  मिटटी  गीली  हो  गई  l  गीली  मिटटी  ने  कहा --- " भरत  , रो  मत  , गीली  मिटटी  के  दीपक  बना   और  घी  के  दीप  जलाकर  भाई  राम  का  स्वागत  कर   l '  और  कहते  हैं   उन  दीपों  के  प्रकाश  को  देखकर   आकाश  के  सूर्य  और  चन्द्र  भी  लज्जित  हो  गए  l    मनुष्य  भी  यदि  प्रकृति  के  नियमों  के  अनुसार  चले  तो  अपने  जीवन  को  प्रकाशित  करने  की  अपार  संभावनाएं  हैं  l