5 July 2022

WISDOM ------

      पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  अपनी  लेखनी  से   संसार  को   जीवन  जीने  की  कला  सिखाई  l  छोटे - छोटे  प्रसंग  में  बहुत  गहरी  बात  छुपी  है ------- 1.   "  नन्ही  सी   चिनगारी  ! तुम  भला  मेरा  क्या  बिगाड़  सकती  हो  ,  देखती  नहीं ,  मेरा  आकार  ही  तुमसे  हजार  गुना  बड़ा  है  ,  अभी  तुम्हारे  ऊपर  गिर   पडूँ   तो  तुम्हारे  अस्तित्व  का  पता  भी  न  लगे  l  "  तिनकों  का  ढेर  अहंकार पूर्वक  बोला  l     चिनगारी  बोली  कुछ  नहीं  ,  चुपचाप   ढेर  के  समीप  जा  पहुंची   l  तिनके  उसकी  आंच  में  भस्मसात   होने  लगे  l  अग्नि  की  शक्ति  ज्यों -ज्यों  बढ़ी  ,  तिनके  जलकर  नष्ट  होते  गए  ,  देखते -देखते   भीषण  रूप  से  आग  लग  गई   और  सारा  ढेर   राख  में  परिवर्तित  हो  गया    l   यह  द्रश्य  देख  रहे   आचार्य  ने  अपने  शिष्यों  को  बताया ---- " बालकों  !  जैसे  आग  की  एक  चिनगारी  ने   अपनी  प्रखर  शक्ति  से   तिनकों  का  ढेर  खाक  कर  दिया   l  वैसे  ही  तेजस्वी   और  क्रियाशील   एक  व्यक्ति  ही   सैकड़ों    बुरे  लोगों  से   संघर्ष  में  विजयी  हो  जाता  है   l   "      

2.     "  बार -बार   रंग  बदलने  की  अपनी  पटुता  का  प्रदर्शन  करते  हुए   गिरगिट  ने  कछुए  से  कहा --- " महाशय  !  देखा  मैं  संसार  का   कितना  योग्य  व्यक्ति  हूँ   l  "  कछुए  ने  धीरे  से  कहा ---- " महाशय  !  दूसरों  को  धोखा  देने  की   इस  योग्यता  से   तो  तुम  अयोग्य   ही  बने  रहते   तो  अच्छा  था  l    कम -से -कम   लोग  भ्रम  में  तो  न  पड़ते   l  "