15 September 2022

WISDOM ------

 ऋषियों  का  कहना  है  कि  हम  इस  संसार  में  आए  हैं  तो  इसका  कोई  कारण  है  --हमें  किसी  का  कर्ज  चुकाना  है  या  कोई  अपना  कर्ज  चुकता  करेगा  l  यह  कर्ज  किसी  भी  रूप  में  हो  सकता  है  l  हम  अपने  जीवन  में  जिसके  भी  संपर्क  में  आते  हैं  चाहे  वह  भूमि  हो , संस्था  हो , पशु -पक्षी  हों , संतान , रिश्ते -नाते  --जो  भी  हों  उन  सबसे  हमारा  जन्म -जन्मान्तर  का  लेन  -देन  होता  है  जिसे  निपटाने  के  लिए  हम  जन्म  लेते  हैं  जैसे  --किसी  की  संतान  बहुत  बीमार  है , लाखों  रूपये  उसकी  बीमारी  पर  खर्च  हो  रहे  हैं  तो  इसका  अर्थ  है  कि  उस  व्यक्ति  पर  अपनी  संतान  का , उस  चिकित्सक  का  पिछले  जन्मों  का  कर्ज  है  जिसे  वह  चुका    रहा  है  l  हम  इस  संसार  में  सुख -दुःख , हानि -लाभ , मान -अपमान  , प्रेम , तिरस्कार  जो  भी  महसूस  करते  हैं  , वह  सब  कर्ज  है  जो  हम  चुका  रहे  हैं  या  कोई  हमसे  वसूल  कर  रहा  है  l  कर्ज  चुकने  के  बाद  ही  मुक्ति  है  l  एक  कथा  है --- एक  राजा  के  संतान  तो  होती  थी  परन्तु  एक -दो  साल  की  होकर  मर  जाती  थी  l  जब  उसके  पांचवें  पुत्र  का  जन्म  हुआ  तो  उसने  ज्योतिषियों  को  बुलाकर  उसकी  जन्म पत्री   दिखाई  l  ज्योतिषी  ने  कहा --- " महाराज  1  अब  तक  आपके  जो  पुत्र  हुए  हैं  , वे  सब  आपने  कर्ज  चुकाने  आए  थे  ,  साल -दो  साल  में  अपना  कर्ज  लेकर  चले  गए  l  ,  किन्तु  आपका  यह  पुत्र  अपना  कर्ज  चुकाने  आया  है  ,  इसलिए  आप  इसे  कोई  कार्य  न  करने  दें  ,  जिससे  यह  आपका  कर्ज  न  चुका  सके  l  यह  आपके  साथ  तब  तक  बना  रहेगा  ,जब  तक  कर्ज  न  चुका  दे  l "  राजा  यह  सुनकर  बहुत  प्रसन्न  हुआ  ,  वे  उस  पर  दिल  खोलकर  पैसा  लुटाते  थे , जिससे  वह  और  अधिक  कर्जदार  हो  जाये  l  जब  वह  पंद्रह  वर्ष  का  हुआ  तो  एक  दिन  राज कर्मचारियों  के  साथ  रथ  पर  बैठकर  घूमने  जा  रहा  था  तो  उसने  देखा  कि  रास्ते  में  एक  आदमी  बेहोश  पड़ा  है  l  उसने  रथ  रोककर  उसे  उठाया l  उसकी  जेब  से  उसका  पता  मिल  गया  l  राजकुमार  ने  उसे  रथ  पर  बिठाकर  उसे  उसके  घर  पहुँचाया  l  वह  एक  सेठ  का  बेटा  था , सेठ  बहुत  खुश  हुआ  l  उसने  अपने  गले  से  मोतियों  की  माला  उतारकर  राजकुमार  के  गले  में  पहना  दी  l  राजकुमार  ने  बहुत  मना  किया  , पर  सेठ  ने  कहा  --- " तुमने  मुझ  पर  जो  उपकार  किया  उसका  बदला  तो  मैं  नहीं  चुका  सकता  ,  पर  तुम  इसे  स्वीकार  कर  लो  l "  राजकुमार  घर  आया  ,  वह  माला  अपनी  माता  को  दे  दी  और  खाना  खाकर  सोया  तो  सोता  ही  रह  गया  l  घर  में  हाहाकार  मच  गया  l  ज्योतिषी  को  बुलाया  गया  l  राजा  ने  कहा --- " पंडित जी ,  आपकी  ज्योतिषी  विद्या  भी  झूठी  हो  गई  ,  क्योंकि  मैंने  तो  इससे  कोई  धन  नहीं  लिया  l "  तब  तक  रानी  ने  वह  मोतियों  की  माला  लाकर  दी  और  बताया  कि  यह  माला  उसे  किसी  सेठ  ने  दी  थी  l  ज्योतिषी  ने  कहा ---" देखिए  महाराज  ! ज्योतिषी  विद्या  झूठी  नहीं  हुई   बल्कि  आप  यह  भी  देखिए  कि  इसे  आपका  कर्ज  तो  चुकाना  ही  था  ,  उस  सेठ  से  कर्ज  लेना  भी  था  l  उस  सेठ  से  अपना  कर्ज  लेकर  तथा  आपसे  कर्ज  मुक्त  होकर  वह  चला  गया  l "   इस  संसार  में  यही  लेन -देन  चलता  रहता  है  l  केवल  मनुष्य  रूप  में  ही  नहीं  कभी -कभी  गाय , बैल , कुत्ता , बिल्ली  , पक्षी  बनकर  भी  कर्ज  चुकाना  पड़ता  है  l  प्रकृति  में  हिसाब  बराबर  होता  है  , लेन -देन  में  एक  पैसा , एक  पाई  भी  इधर  से  उधर  नहीं  होता  l 

WISDOM ----

लघु -कथा ----  एक  आदमी  अकसर  शमशान  में  जाकर  बैठ  जाता  था  l  जब  सब  उससे  पूछते  कि  यहाँ  क्यों  बैठे  हो  तो  वह  कहता --- " एक  दिन  तो  यहाँ  आना  ही  है  , मैं  स्वयं  ही  आ  गया  l " सब  उसे  पागल  कहते  थे  l  एक  दिन  एक  सेठ  की  सवारी  उधर  से  निकली  तो  सेठ  ने  उसे  बुलवाया  और  उससे  वहां  बैठने  का  कारण  पूछा  ,  तो  उसने  कहा  --- " एक  दिन  तो  तुम्हे  भी  यहाँ  आना  ही  है  l "  यह  सुनकर  सेठ जी  बहुत  क्रोधित  हुए  l  उन्होंने  कहा --- " तुम  मूर्ख  हो  , मैं  अब  तक  किसी  मूर्ख  की  तलाश  कर  रहा  था  l  मैं  तुम्हे  सोने  की  छड़ी  देता  हूँ  l " उस  पागल  ने  कहा --- " मैं  इसका  क्या  करूँ ? " सेठ जी  ने  कहा --- " जो  तुमसे  भी  ज्यादा  मूर्ख  हो  उसे  दे  देना  l  वह  छड़ी  हाथ  में  लेकर  घूमता  रहता  l  एक  दिन  शहर  की  तरफ  गया  तो  पता  लगा  कि  वे  सेठ जी  बहुत  बीमार  हैं  l  वह  उन्हें  देखने  पहुँच  गया l  सेठ जी  से  पूछा --- ' कैसे  हो  ? ' सेठ जी  ने  कहा -- " बस , अब  तो  जाने  की  तैयारी  है  l " उसने  पूछा --- " कहाँ  जा  रहे  हो  ? " सेठ  ने  कहा --- " जहाँ  सब  जाते  हैं  l ' उस  व्यक्ति  ने  कहा --- " तो  आपने  यात्रा  की  तैयारी  तो  की  होगी  ? ये  धन -दौलत ,  ये  सुख -सुविधा  का  सामान क्या -क्या  ले  जा  रहे  हो  ? "  सेठ  ने  क्रोध  में  कहा --- " तुम  बहुत  मूर्ख  हो  , वहां  पर  कोई  वस्तु  कैसे  ले  जा  सकता  है  ? " उस  व्यक्ति  ने  कहा --- " सेठ जी , मुझसे  बड़े  मूर्ख  तो  आप  हैं  l  आपके  पास  इतनी  धन -दौलत , इतने  नौकर -चाकर , इतनी  शक्ति   सब  कुछ  था l  यदि  आप  इस  धन  का , अपनी  शक्ति  का  सदुपयोग  करते  तो  यह  पुण्य  आपके  साथ  जाता  l  अब  तो  वह  समय  निकल  गया  l  मनुष्य जन्म  अनमोल  है  , जो  वक्त  गुजर  गया , वह  अब  कभी  वापस  नहीं  आएगा  l  पर  खैर  आप  अपनी  छड़ी  वापस  ले  लो  , क्योंकि  मैं  अपने  से  अधिक  मूर्ख  की  तलाश  कर  रहा  था  l  "