हमारे महाकाव्य संसार को जीवन जीने की कला सिखाते हैं l उनके विभिन्न प्रसंग वर्तमान की विभिन्न समस्याओं और उनके समाधान को बताते हैं l रामायण में यदि हम सुग्रीव का प्रसंग देखें तो उस पर सबसे ज्यादा अत्याचार उसके भाई बाली ने ही किया , किसी अन्य जाति या धर्म के व्यक्ति ने नहीं किया l यही इस युग का सच है l धर्म , जाति के नाम पर दंगे , हत्या , उत्पीड़न की घटनाएँ तो बहुत हैं लेकिन इसमें सहभागिता करने वाले और इन्हें देखने - सुनने वाले यदि ईमानदारी से अपने - अपने परिवार की ओर देखें तो एक कटु सत्य समझ में आएगा कि धन -सम्पति के नाम पर भाई - भाई में झगड़े -विवाद , घरेलु हिंसा , पुत्र - पुत्री में भेद , बच्चों का शोषण , नारी उत्पीड़न ये सब परिवार के ही लोग करते हैं और बुद्धि भ्रष्ट हो जाने पर अपनों को सताने के लिए गैरों की मदद लेते हैं l दंगे - फसाद की आड़ में अपनों से ही बदला लेते हैं l धर्म के नाम पर झगड़ने से पहले इस सत्य को समझना चाहिए कि ' हम अपनों के सताए हुए हैं l ' अनीति और अत्याचार कुछ समय तक फलते - फूलते देखे जा सकते हैं लेकिन जीत अंत में सत्य की होती है l बाली ने अपने भाई सुग्रीव पर अत्याचार किया , अनीति की l सुग्रीव को पर्वत पर जाकर रहना पड़ा , अंत में भगवान के हाथों बाली का वध हुआ और सुग्रीव का राज्याभिषेक l रावण ने विभीषण को लात मारी तो रावण का अंत हुआ और विभीषण का राज्याभिषेक l ये सब कथानक हमें शिक्षा देते हैं कि मानव जीवन अनमोल है , कर्मफल से कोई भी नहीं बचा है इसलिए अहंकार के वशीभूत होकर अपनी शक्ति और बुद्धि का दुरूपयोग नहीं करना चाहिए