मनुष्य को भगवान् ने बहुत कुछ दिया l बुद्धि तो इतनी दी कि वह संसार के सम्पूर्ण प्राणियों का शिरोमणि हो गया l बुद्धि पाकर भी मनुष्य एक गलती सदैव दोहराता है और वह यह कि उसे जिस पथ पर चलने का अभ्यास हो गया है वह उसी पर चलना चाहता है l रास्ते न बदलने से जीवन के अनेक महत्वपूर्ण पहलू उपेक्षित पड़े रहते हैं l ---- धनी , धन का मोह छोड़कर दो मिनट त्याग और निर्धनता का जीवन बिताने के लिए तैयार नहीं होता , नेता भीड़ पसंद करता है , वह दो क्षण एकान्त चिंतन के लिए नहीं निकलता l डाक्टर व्यवसाय करता है ऐसा नहीं कि सेवा का सुख भी देखें , पैसे को माध्यम न बनायें l व्यापारी बेईमानी करते हैं कोई ऐसा प्रयोग नहीं करते कि देखें कि ईमानदारी से भी मनुष्य सुखी और संपन्न रह सकता है l जीवन में विपरीत और कष्टकर परिस्थितियों से गुजरने का अभ्यास मनुष्य जीवन में बना रहा होता तो अध्यात्म और भौतिकता में परस्पर संतुलन बना रहता और धरती पर शान्ति होती l