7 October 2023

WISDOM ----

   इस  संसार  में  आसुरी  शक्तियां  भी  हैं  और   देवत्व  भी  है  l  ईश्वर  ने  हमें  चुनाव  की  स्वतंत्रता  दी  है  , हम  दोनों  में  से  जिसे  चाहे  चुन  लें  l  जैसी  राह  होगी  वैसा  ही  परिणाम  सामने  आएगा  l  पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- " असुरता    मायावी  खेल  खेलती  है  l  असुर  छल -बल  का  प्रयोग  करते  हैं  l  ये  अपने  जाल  में  उलझाने  के  लिए   बड़ा  ही  मोहक  एवं  आकर्षक  द्रश्य  प्रस्तुत  करते  हैं  l  ये  व्यक्ति  की  कमजोरियों  को  उभारते  हैं  l  लोभ , मोह ,  काम, वासना   आदि  का  द्रश्य  दिखाकर   ये  अपने  जाल  में  फंसा  लेते  हैं    , फिर  उसका  तब  तक  उपयोग  करते  हैं  ,  जब  तक  वह  पूरी  तरह  निचुड़  न  जाए  l  अंत  में  उसे  मारकर  फेंक  देते  हैं  l  यह  असुरता  का  क्रियाकलाप  है  l  इसके  विपरीत  देवता  किसी  का  उपयोग  करते  हैं   तो  उसको  उसके  सतोगुणी  रूप  में   वापस  लौटाते  हैं  l  देवत्व  का  पक्षधर  कभी  घाटे  में  नहीं  रहता  l  सभी  रूपों  में  उसे  लाभ  ही  मिलता  है   l '  असुर  अपने  तप  से  बहुत  धन -वैभव   और  शक्ति   प्राप्त  कर  लेते  हैं  , जिसका  उन्हें  अहंकार  होता  है  l  l    आचार्य श्री    लिखते  हैं ---- ' वक्त  किसी  का  नहीं  होता  , परन्तु  अहंकारी  वक्त  को  थाम  लेने  का  दंभ  भरता  है   परन्तु  जग जाहिर  है  कि  रावण , कंस , जरासंध  जैसे  शक्तिशाली  राक्षस  भी  उसे  थाम  नहीं  पाए  ,  काल  चक्र  के  घूमते  पहियों  में  पिस  गए  l  किसी  कालखंड  में  उदित  पुण्यों  के  प्रभाव  से  अनीति  और  अत्याचार  करने  पर  भी  कुछ   नहीं  होता  , इससे  उन्हें  ऐसा  लगता  है  कि  हमने  काल  पर  नियंत्रण  कर  लिया   परन्तु  जब  पुण्यों  का  प्रभाव  चुक  जाता  है   तब  वक्त  के  थपेड़ों  से  वह  भी  बच  नहीं  पाता  l  अत:  बुद्धिमानी  इसी  में  है  कि   वक्त  की  सही  पहचान  करते  हुए   आसुरी  शक्तियों  के  हाथ  की  कठपुतली  न  बनकर   देवताओं  का  यंत्र  बन  जाना  चाहिए  l