22 July 2023

WISDOM ----

  पुराणों  में  अनेक  कथाएं  हैं   जिनमें  यह  बताया  गया  है  कि  असुर  बड़े  तपस्वी  होते  हैं ,  वे  कठोर  तपस्या  कर  के  ईश्वर  से  वरदान  प्राप्त  कर  लेते  हैं  l  तपस्या  से  शक्ति  तो   प्राप्त  हो  जाती  है  लेकिन  असुर  संवेदनहीन  होते  हैं  इसलिए  वे  अपनी  शक्ति  का  दुरूपयोग  करते  हैं  l  असुर  कोई  ऐसा  व्यक्ति  नहीं  होता  जिसके  बड़े -बड़े  सींग  हों , डरावनी  शक्ल  हो  l  व्यक्ति  में  यदि  दुर्गुण  ज्यादा  हैं ,  उसके  कर्म  दूसरों  को  कष्ट  देने  वाले  हैं  तो  वह  असुर  है  l  पुराण  में  कथा  है ---- भस्मासुर  की   l  इसने  कठिन  तपस्या  कर  के  शिवजी  से  वरदान  प्राप्त  कर  लिया  था  कि  वह  जिसके  सिर  पर  हाथ  रख  दे  , वह  भस्म  हो  जाये  l  ऐसा  वरदान  पाकर  वह  अहंकार  से  मतवाला  हो  गया   और  प्रजा  पर  अत्याचार  करने  लगा  l  असुरता  के  राज्य  की  सबसे  बुरी  बात  यह  होती  है  कि   वह  असुर  स्वयं  तो  प्रजा  पर  अत्याचार  करता  है  ,  उसके  राज्य  में  उसके  आधीन  जितने  भी  अधिकारी , कर्मचारी   और  राज्य  के  अन्य  ताकतवर  लोग  होते  है   वे  अपने -अपने  तरीके  से  प्रजा  का  शोषण  व  अत्याचार  करते  हैं  l  प्रजा  पर  दोहरी  मार  हो  जाती  है  l  भस्मासुर  के  अत्याचार  से   दुःखी  होकर   प्रजा  ने  भगवान  से  प्रार्थना  की  कि  इस  अत्याचारी  से  हमारी  रक्षा  करो  l  क्योंकि   कोई  भी  उसके  विरुद्ध  एक  शब्द  बोलता , , उसकी  आज्ञानुसार  नहीं  चलता  , वह  उसके  सिर  पर  हाथ  रख  देता    और  वह  व्यक्ति  भस्म  हो  जाता  l   अहंकार  व्यक्ति  की  बुद्धि  भ्रष्ट  कर  देता  है ,  उसने  सोचा   कि  वह  क्यों  न  शिवजी  को  ही  भस्म  कर  दे  और  पार्वती जी  से  विवाह  कर  ले  l  उसके  चापलूसों  ने  भी  उसे  ऐसा  करने  के  लिए  प्रेरित  किया  l  अब  क्या  था   , वह  चला  शिवजी  के  सिर  पर  हाथ  रखकर  उन्हें  भस्म  करने l  शिवजी  क्या  करें , वरदान  देकर  वह  बंधे  थे  l  अपनी  समाधि  से  उठकर  भागे  l  आगे -आगे  शिवजी  और  पीछे -पीछे  भस्मासुर  !  भागते -भागते  वे  विष्णु  लोक  पहुंचे  और  भगवान  से  कहा  कि  मुझसे  वरदान  पाकर  यह  तो  मुझे  ही  भस्म  करना  चाहता  है , अब  आप  ही  कोई  तरकीब  निकालो  , जिससे  इस  असुर  से  मुझे  और  इसकी  प्रजा  को  छुटकारा  मिले  l  विष्णु  भगवान  मोहिनी  रूप  बनाकर  बैठ  गए  l  जैसे  ही  भस्मासुर  शिवजी  का  पीछा  करते  विष्णुलोक  पहुंचा  ,  वहां  इस  मोहिनी  रूप  को  देखकर  अपनी  सुधबुध  खो  बैठा  l   अब  शिव -पार्वती  सबको  भूलकर  वह  इस  मोहिनी  रूप  पर  बावला  हो  गया  l  मोहिनी  बने  विष्णु जी  ने  कहा ---मुझे  पाना  है  तो  मेरे  साथ  नृत्य  करो  जैसी  मेरी  मुद्रा  हो  वैसी  ही  तुम  करो  l  नृत्य  करते -करते    विष्णु जी  ने  अपने  सिर  पर  हाथ  रखा  l  भस्मासुर  तो  मोहिनी  रूप  में  खो  चुका  था , उसने  भी  अपने  सिर  पर  हाथ  रखा  , और  वह  तत्काल  ही  भस्म  हो  गया  l  शक्ति  के  साथ  सद्बुद्धि  और  संवेदना  भी  जरुरी  है  , अन्यथा  वह  उसे  पाने  वाले  को  भस्मासुर  की  तरह  ही  नष्ट  कर  देती  है  l