25 March 2018

WISDOM ------ मन:स्थिति बदल जाने पर परिस्थितियों का बदल जाना सुनिश्चित है --- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

  संसार  के  जितने  भी  उन्नत  और  विचारशील  देश  हैं  , वे  सब  एकाएक   ही  उन्नत  या  समृद्ध  नहीं  हो  गए  वरन  उन्हें  ऊँचा  उठाने  के  लिए  कितने  ही  प्रबुद्ध  व्यक्तियों  ने  अपना  असाधारण  योगदान   दिया  है  l   बीसवीं  शताब्दी  के  आरम्भिक  पच्चीस - तीस  वर्षों  तक  रूस  की  तीन चौथाई  से  भी  अधिक  जनसँख्या  अशिक्षित  थी  l  फिर  1917  में  वहां  क्रान्ति  हुई  , जिसे  सफल  बनाने  में  रूस  के  बुद्धिजीवियों  ने   महत्वपूर्ण  भूमिका  अदा  की  l  उस  क्रांति  की  सफलता  के  पीछे  पढ़े - लिखे  विचारशीलों  की  लगन , निष्ठा , परिश्रम  और  त्याग  था  l  उनका  एक  ही  उद्देश्य  था -- राष्ट्र  में  वैज्ञानिकों , लेखकों , कलाकारों  एवं  विशेषज्ञों  के  अभाव  की  पूर्ति  करते  हुए   राष्ट्र  का  नव निर्माण  l  इस  आन्दोलन  में  लेनिन , कोस्तांतिन , इवान  पावलोव  जैसे  व्यक्ति  अगुआ  थे  l  इनके  अथक  परिश्रम  और  अपूर्व  त्याग  का  परिणाम  यह  हुआ  कि  1960  तक  पहुँचते - पहुँचते  प्रत्येक  व्यक्ति   औसत  शैक्षणिक  योग्यता  के  साथ  राष्ट्र  प्रेम  अर्जित  कर  चुका  था  ,  और  आज  रूस  की  सुद्रढ़  स्थिति  से   समूचा  संसार  परिचित  है  l      समाज  का  मस्तिष्क  कहे  जाने  वाले   बुद्धिजीवी  ,    जनमानस  को    जिस  प्रकार  का  मार्गदर्शन  देते  हैं  ,  लोकजीवन  वैसी  ही   धारा  अपनाता  है   l