30 December 2020

WISDOM ------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  का  कहना  है  --- ' हमारी  भारतीय  संस्कृति  की  यह  विशेषता  है  कि  यहां   भिन्न - भिन्न  रूपों  में  उपासना  ' बहुदेववाद ' के माध्यम  से  प्रचलित  है  l  हम  चाहे  किसी  को  भी  मानें, भाव  परमपिता   परमेश्वर   के  प्रति  समर्पण  का  हो   ,  उनके  कार्य  को  आगे  बढ़ाने  का  ही  हो   l ------  सुप्रसिद्ध      तंत्रसाधक    स्वामी  सर्वानंद   काली  के  उपासक  थे  l   राजा  कृष्ण  उपासक  थे   l   राजधर्म  के  अंतर्गत   सभी  को   श्रीकृष्ण  को  ही   आराध्य  देव  मानने  का   राज्यादेश   था  l  उनसे  किसी  ने  शिकायत  की  कि   यह  साधु  अपनी  ही  चलाता   है  ,  राजधर्म  का  पालन  नहीं  करता  l  राजा  ने  पूछा  तो  सर्वानंद  ने  कहा  कि   जो  आप  करते  हैं  , वही  हम  करते  हैं  l   राजा  ने  कहा ---- हम  उपासना स्थली  देखेंगे  l  काली  का  फोटो  आपके  यहाँ  है  कि   नहीं  यह  भी  देखेंगे  l  सर्वानंद  स्वामी  ने  सब  कुछ  महामाया  पर  छोड़  दिया  l   राजा  के  साथ  आये  सभी  लोगों  ने  काली  की  मूर्ति  देखी ,  पर  राजा  को  वहां  श्री  कृष्ण  की  मूर्ति  दिखाई  दी   l   बाहर  आकर  बोले  ---- हमने  देख  लिया  , वह  कृष्ण  का  ही  उपासक  है  l   तुम  जबरदस्ती  उसकी  शिकायत  करते  हो  l   राजा  को  वहां  श्रीकृष्ण  दीखे   और  लोगों  को  काली   l   भिन्न - भिन्न  रूपों  में  भगवान  की  शक्तियां   हैं  ,  पर  एक  सच्चा  योगी    सभी  में  परमपिता  परमेश्वर   के  दर्शन  करता  है  l   यदि  यह  एकात्मता  का  भाव  बना  रहे   तो  धर्म  के  नाम  पर  होने  वाले  झगड़े    पैदा  ही  न  हों   l