भौतिकता की अंधी दौड़ में , स्वयं को आधुनिक कहलाने में गर्व महसूस करने में मनुष्य नैतिकता के नियमों को भूल रहा है l उनका पालन करने में यह भ्रम था की कहीं लोग उसे ' पिछड़ा हुआ '
Backward ' न कहने लगे l हमारे आचार्यों ने , ऋषियों ने ये जो नियम बनाये उनके पीछे उनकी वैज्ञानिक दृष्टि और गहरी सोच थी l ईश्वर के लिए तो यह एक सम्पूर्ण धरती है , उसको विभिन्न टुकड़ों में तो मनुष्य ने बांटा है l इसलिए ये नियम किसी एक देश के लिए नहीं , वरन सम्पूर्ण संसार के लिए थे l अब जब मनुष्यों ने नैतिकता के इन नियमों की उपेक्षा करने की अति कर दी , तो अब प्रकृति अपने तरीके से इन नियमों का पालन करने पर मनुष्य को विवश कर रही है जैसे --- जब भी किसी से मिलो तो थोड़ी दूरी बनाकर रहो , मिलते ही हाथ न मिलाओ और न गले मिलो l पर - पुरुष , पर नारी के साथ एक आसन पर मत बैठो l भोजन को ईश्वर का प्रसाद समझ कर ग्रहण करो , किसी का झूठा भोजन न खाओ और न झूठा पानी पियो l अश्लील चित्र व अश्लील साहित्य मनुष्य की प्रतिरोधक शक्ति को कम कर देते हैं इसलिए इनसे दूर रहो l इसके साथ ही सच्चाई , ईमानदारी , दया , करुणा , संवेदना , कर्तव्यपालन आदि सद्गुण भी जरुरी हैं l
स्वस्थ रहने के लिए जागरूक होना जरुरी है l हमारे धर्म ग्रंथों में सूर्य को प्रत्यक्ष देवता कहा गया है l कोई किसी भी जाति अथवा धर्म का हो सबको सूर्य का प्रकाश समान रूप से मिलता है l इसलिए आचार्य श्री का कहना है कि हम सविता देव का ध्यान करें l यदि हम किसी ऐसे देश में हैं जहाँ सूर्य के दर्शन नहीं होते तो हम मन में सूर्योदय की , सूर्य के प्रकाश की कल्पना कर सकते हैं कि यह प्रकाश हमारे रोम - रोम में समां रहा है l इससे हम स्वस्थ होंगे रोग को पराजित कर सकेंगे l
Backward ' न कहने लगे l हमारे आचार्यों ने , ऋषियों ने ये जो नियम बनाये उनके पीछे उनकी वैज्ञानिक दृष्टि और गहरी सोच थी l ईश्वर के लिए तो यह एक सम्पूर्ण धरती है , उसको विभिन्न टुकड़ों में तो मनुष्य ने बांटा है l इसलिए ये नियम किसी एक देश के लिए नहीं , वरन सम्पूर्ण संसार के लिए थे l अब जब मनुष्यों ने नैतिकता के इन नियमों की उपेक्षा करने की अति कर दी , तो अब प्रकृति अपने तरीके से इन नियमों का पालन करने पर मनुष्य को विवश कर रही है जैसे --- जब भी किसी से मिलो तो थोड़ी दूरी बनाकर रहो , मिलते ही हाथ न मिलाओ और न गले मिलो l पर - पुरुष , पर नारी के साथ एक आसन पर मत बैठो l भोजन को ईश्वर का प्रसाद समझ कर ग्रहण करो , किसी का झूठा भोजन न खाओ और न झूठा पानी पियो l अश्लील चित्र व अश्लील साहित्य मनुष्य की प्रतिरोधक शक्ति को कम कर देते हैं इसलिए इनसे दूर रहो l इसके साथ ही सच्चाई , ईमानदारी , दया , करुणा , संवेदना , कर्तव्यपालन आदि सद्गुण भी जरुरी हैं l
स्वस्थ रहने के लिए जागरूक होना जरुरी है l हमारे धर्म ग्रंथों में सूर्य को प्रत्यक्ष देवता कहा गया है l कोई किसी भी जाति अथवा धर्म का हो सबको सूर्य का प्रकाश समान रूप से मिलता है l इसलिए आचार्य श्री का कहना है कि हम सविता देव का ध्यान करें l यदि हम किसी ऐसे देश में हैं जहाँ सूर्य के दर्शन नहीं होते तो हम मन में सूर्योदय की , सूर्य के प्रकाश की कल्पना कर सकते हैं कि यह प्रकाश हमारे रोम - रोम में समां रहा है l इससे हम स्वस्थ होंगे रोग को पराजित कर सकेंगे l