31 January 2022

WISDOM ------

   कहते  हैं   जो  कुछ  महाभारत  में  है ,  वही  इस  धरती  पर  भी  है  l   जिनका  दृष्टिकोण  सकारात्मक  है   वे   इस  महाकाव्य  से  अच्छी  बातों  को  सीखकर  अपने  जीवन  को  सार्थक  करते  हैं   लेकिन  जो  आसुरी  प्रकृति  के  हैं   वे   षड्यंत्र , फरेब , छल ,  अनीति  , अत्याचार --- महाभारत  से  ही   सीखते  हैं  l   फिर  उनका   अंत  भी   वैसा  ही  होता  है  जैसा  कौरवों  का  हुआ   l  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य श्री  लिखते  हैं ---- " नीति   से  नियति  का  निर्माण  होता  है   l   नीति   का  मतलब  है   व्यक्ति  का  उद्देश्य  क्या  है   ? वह  क्या  करता  है  ?    और  नियति  उसके  कर्मों  का  परिणाम  होती  है   l  "      दुर्योधन  आदि  कौरव   सदा  से   ही  षड्यंत्रकारी , फरेबी  और  अहंकारी  थे   l   उनका  उद्देश्य  छल , कपट से  , षड्यंत्र  से  पांडवों  का  हक  छीनकर  स्वयं  को   स्थापित करना  था   l    अधर्म  और  पाप  का  आचरण  ही  उनकी  नीति   थी  l    इस  कारण  विनाश  ही  उनकी  नियति  थी   l   भीष्म पितामह ,  गुरु  द्रोणाचार्य , कृपाचार्य  और  कर्ण   जैसे  महारथी  भी  दुर्योधन  को  विनाश  की  नियति  से  नहीं  बचा  पाए  और  अधर्म  का  साथ  देने  के  कारण  स्वयं  भी  नष्ट  हो  गए   l   इसके   ठीक विपरीत  पांडव   सदाचारी , सत्य , न्यायप्रिय , और  परोपकारी  थे   l   उनकी  नीति  और  आचरण   धर्म  के  अनुकूल  था   इस  कारण  भगवान  श्रीकृष्ण  ने  स्वयं  उनके   रथ  की  बागडोर   सम्हाली  l   इस  महासंग्राम  में  पांडव   विजयी  हुए  l   हम  भी  सतत   श्रेष्ठ  कर्म  और  अच्छी  नियत  द्वारा  अपनी    नियति    को  श्रेष्ठ  बना  सकते  हैं   l