हमारी नीति कथाएं हमें जीवन जीने की कला सिखाती हैं l यह कथा बताती है कि अपनी कमजोरी पर नियंत्रण रखो , डरो नहीं , अन्यथा लोग उसका फायदा उठाने को तैयार रहेंगे l ----- एक लोमड़ी किसी जंगल में रहती थी l उसी क्षेत्र में गधों की भरमार थी l लोमड़ी को उनसे असुविधा होती थी l उसके खाने योग्य साधन गधों की बहुलता से अस्त - व्यस्त हो जाते थे l लोमड़ी ने एक चालाकी भरी योजना बनाई कि किसी प्रकार गधों को डरा कर भगाया जाये l वह गधों के पास पहुंची और बोली मैं तुम्हे एक गुप्त सूचना देती हूँ --- मछलियों ने मिलकर एक सेना गठित की है और वे दलबल के साथ तुम सब गधों का बंटाधार करने वाली हैं l गधों ने वास्तविकता जानने का प्रयत्न ही नहीं किया , डर से भयभीत होकर गांव की ओर भागे जहाँ उन्हें पनाह मिल सके l गाँव धोबियों का था l उन्होंने गधों की भय - व्याकुलता देखी l कारण पूछा और सहायता करने का आश्वासन दिया l गधों ने लोमड़ी से सुनी सारी बातें कह सुनाई l धोबियों ने उन्हें बचा लेने का आश्वासन दिया l साथ ही उनके गले में रस्सी बांधकर खूंटे से भी बांध दिया l गधे स्थायी रूप से उनके चंगुल में बंध गए l
4 March 2022
WISDOM ------
एक कहावत है ---- ' खाली बैठे क्या करें , आओ पड़ोसन लड़ें l " एक सत्य घटना है --- लोगों को लड़ने का बहुत शौक होता है l झुग्गी झोंपड़ी में रहने वाली दो महिलायें बात कर रहीं थीं -- एक ने कहा --मैं बकरी खरीदूंगी l दूसरी ने कहा --- तेरी झुग्गी में जगह तो है नहीं कहाँ बांधेगी ? ' पहली स्त्री ने कहा --- ' तेरी झुग्गी में बांध दूंगी , क्या कर लेगी मेरा ! ' बस ! इसी बात पर दोनों में बहस छिड़ गई , घर के पुरुष भी इसमें सम्मिलित हो गए l अब झुग्गी में तो इतनी जगह नहीं थी , इसलिए उनकी लड़ाई सड़क पर आ गई l एक -एक कर के अन्य झुग्गी वाले भी इस लड़ाई में जुट गए , बवाल मच गया l इस बीच भयंकर आँधी चलने लगी , मूसलाधार पानी बरसने लगा , ओले भी गिरे l महिलाएं तो किसी तरह अपनी झुग्गी में चलीं गईं l लेकिन पुरुषों में तो अहंकार होता है , अपने पौरुष को सार्थक करने का कोई मौका चाहिए l वे अपने - अपने घर से छाता ले आए , जिसके पास छाता नहीं था , उसने सिर पर से बोरी ओढ़ ली और खूब लड़े l ' ------ यह हाल आजकल पूरी दुनिया का है l झुग्गी में रहने वाले , गरीब लोग , निम्न जाति के लोग , जो बदरंग हैं वे लोग और अनपढ़ आपस में लड़ें तो बात समझ में आती है लेकिन जब रंग - रूप , ज्ञान - विज्ञानं , धन - वैभव , सुख - सुविधाएँ , जाति - धर्म हर दृष्टि से स्वयं को श्रेष्ठ कहने वाले लोग ऐसी लड़ाई करें कि धरती शमशान बन जाये तो मन में एक प्रश्न उत्पन्न होता है कि श्रेष्ठ कौन ? सभ्य कौन ? यह दुर्बुद्धि ही है कि सकारात्मक कोई कार्य नजर नहीं आता तो घमासान युद्ध कर के , निर्दोष प्राणियों की हत्या कर के ही लोग समझते हैं कि उनका जीवन सार्थक हो गया l ऐसी बुद्धि !