श्रीमद्भगवद्गीता में श्री भगवान कहते हैं --- भक्ति के अलावा भी उन तक पहुँचने के अनेक मार्ग हैं l भक्त हों या निराकार के उपासक हों , किसी भी विधि से , कहीं से भी चलो , सबकी मंजिल एक ही है , वहां पहुंचकर कोई भेद नहीं रहता है l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है ---- ' इस दुनिया में इतना जो अधर्म है , उसका कारण यह नहीं है कि नास्तिक दुनिया में ज्यादा हो गए हैं , बल्कि कारण यह है कि आस्तिकों ने एक दूसरे को गलत सिद्ध कर के ऐसी हालत पैदा कर दी कि कोई भी सही नहीं रह गया l पूरी दुनिया में तकरीबन तीन सौ धर्म हैं और एक धर्म को दो सौ निन्यानवे गलत कह रहे हैं l यह सहज ही स्पष्ट है कि आम जनता पर किसका असर ज्यादा होगा l एक स्वयं को ठीक कहता है , तो दो सौ निन्यानवे उसे गलत साबित करने में जुटे हैं l स्थिति यह है कि हर एक के खिलाफ दो सौ निन्यानवे हैं l दुनिया की खराब हालत के लिए जिम्मेदार ये तीन सौ धर्म हैं l सभी एक दूसरे की लाशें बिछाने में लगे हैं l हिन्दुओं ने मुसलमानों को गलत सिद्ध किया , मुसलमानों ने हिन्दुओं को गलत कर दिया l इसी तरह साकार व निराकार ने एक दूसरे को गलत कर दिया l इन लोगों के अनुसार --- बाइबिल कुरान के खिलाफ है , कुरान गीता के खिलाफ है l वेद तालमुद के खिलाफ हैं , तालमुद जिंदे अवेस्ता के खिलाफ है l बस इसी तरह खिलाफत और झगड़ों का सिलसिला जारी है और पूरी दुनिया लाशों से पटी पड़ी है l एक दूसरे का खून बहाया जा रहा है l
ऐसी दशा में श्रीकृष्ण बहुत ही क्रांतिकारी सूत्र देते हैं l वे कहते हैं की विपरीतताएँ कितनी ही क्यों न हों , झगड़े कितने ही खड़े कर लो , पर यदि तुम चलना शुरू करोगे तो पहुंचोगे , एक ही मंजिल तक l भक्ति की , ज्ञान की मंजिल एक है l निराकार और साकार एक ही सत्य के दो रूप हैं l हम किसी भी पथ से चलें , लेकिन पहुंचेंगे भगवान तक ही l '
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है ---- ' इस दुनिया में इतना जो अधर्म है , उसका कारण यह नहीं है कि नास्तिक दुनिया में ज्यादा हो गए हैं , बल्कि कारण यह है कि आस्तिकों ने एक दूसरे को गलत सिद्ध कर के ऐसी हालत पैदा कर दी कि कोई भी सही नहीं रह गया l पूरी दुनिया में तकरीबन तीन सौ धर्म हैं और एक धर्म को दो सौ निन्यानवे गलत कह रहे हैं l यह सहज ही स्पष्ट है कि आम जनता पर किसका असर ज्यादा होगा l एक स्वयं को ठीक कहता है , तो दो सौ निन्यानवे उसे गलत साबित करने में जुटे हैं l स्थिति यह है कि हर एक के खिलाफ दो सौ निन्यानवे हैं l दुनिया की खराब हालत के लिए जिम्मेदार ये तीन सौ धर्म हैं l सभी एक दूसरे की लाशें बिछाने में लगे हैं l हिन्दुओं ने मुसलमानों को गलत सिद्ध किया , मुसलमानों ने हिन्दुओं को गलत कर दिया l इसी तरह साकार व निराकार ने एक दूसरे को गलत कर दिया l इन लोगों के अनुसार --- बाइबिल कुरान के खिलाफ है , कुरान गीता के खिलाफ है l वेद तालमुद के खिलाफ हैं , तालमुद जिंदे अवेस्ता के खिलाफ है l बस इसी तरह खिलाफत और झगड़ों का सिलसिला जारी है और पूरी दुनिया लाशों से पटी पड़ी है l एक दूसरे का खून बहाया जा रहा है l
ऐसी दशा में श्रीकृष्ण बहुत ही क्रांतिकारी सूत्र देते हैं l वे कहते हैं की विपरीतताएँ कितनी ही क्यों न हों , झगड़े कितने ही खड़े कर लो , पर यदि तुम चलना शुरू करोगे तो पहुंचोगे , एक ही मंजिल तक l भक्ति की , ज्ञान की मंजिल एक है l निराकार और साकार एक ही सत्य के दो रूप हैं l हम किसी भी पथ से चलें , लेकिन पहुंचेंगे भगवान तक ही l '