3 June 2019

WISDOM ----- भौतिक और आध्यात्मिक द्रष्टिकोण

 इन  दोनों  द्रष्टिकोण   की  भिन्नता  ही  व्यक्ति  और  समाज  के  उत्थान  और  पतन  का  कारण  बनती  है  l  ------ मंदिर  में  दो  व्यक्ति  भगवान  का  दर्शन  तन्मयतापूर्वक  कर  रहे  हैं   l  पहला  व्यक्ति  भावना पूर्वक  इस  प्रतिमा  में  घट-घटवासी  सर्वव्यापी  भगवान्  की  झांकी  के  दर्शन  करता  हुआ  गद्गद  होता  है  l   दूसरा  व्यक्ति   मुकुट , श्रंगार का , पत्थर  आदि  का  मूल्य   आंकता  है   और  दूसरी  प्रतिमाओं  के   बाह्य  साधनों  के  साथ  तुलना  करता  है  ,  उसकी  द्रष्टि  विलास  तक   सीमित  है  l  ऐसी  स्थिति  में  दोनों  का  देव दर्शन   भिन्न  परिणाम  ही   उत्पन्न    करेगा   l 
  एक  और  तीसरा   चोर  व्यक्ति  है  ,  जो  मूर्ति  का  कीमती  श्रंगार  चुराने   की  घात  लगाकर  खड़ा  है   और  उसके  लिए  उपयुक्त  अवसर  खोज  रहा  है   l  यह  उपरोक्त  दोनों  व्यक्तियों  से  भिन्न  परिणाम  का  अधिकारी  होगा  l 
   पहले  व्यक्ति  को    भगवान   के  दर्शन  का  लाभ  मिलेगा  ,    दूसरा  व्यक्ति  श्रंगार    एवं   मंदिर  की  शोभा  की  आलोचना  कर के   मनोरंजन  करेगा   l  तीसरा  चोर व्यक्ति  पाप  में  प्रवृत  होकर  दुःख भोगेगा  ,  पकड़ा  गया  तो  जेल  जायेगा  l  इस  प्रकार  एक  ही  प्रकार  से  देव दर्शन  कर  रहे  तीन  व्यक्ति  तीन  तरह  की  गति  को  प्राप्त  होंगे  l 
  कहते  हैं  भगवान  भावना  के  भूखे  हैं  ,  हमारी  भावनाएं  पवित्र  होनी  चाहिए   l  ईश्वर - स्मरण  के  अनेक  तरीके  हैं  l  भगवान  के  नाम  का  उच्चारण  कर  के   अथवा    लिखकर   किसी    भी  तरीके  से  ईश्वर  को  याद  किया  जा  सकता  है   लेकिन   यदि  इसके  पीछे  भावना  किसी  को  उत्पीडित  करना ,   और  अपने  स्वार्थ  की  पूर्ति  करना  है  तो  उसका  परिणाम   व्यक्ति  व  समाज  सभी  के  लिए  दुखदायी  होगा   l