6 February 2023

लघु -कथा -----

   प्रचेता  एक  ऋषि  के  पुत्र  थे   और  स्वयं  भी  बड़े  तपस्वी  थे  l  लेकिन  वे  बहुत  क्रोधी  थे , अपने  क्रोध  पर  उनका  नियंत्रण  न  था  , अपनी  इस  दुर्बलता   के  आगे  विवश  थे  l    एक  बार  वे   एक  बहुत  संकरे  रास्ते  से  गुजर  रहे  थे  , उसी  समय  दूसरी  ओर  से  कल्याणपाद   नाम  का  एक  व्यक्ति  आ  गया  l  दोनों  एक  दूसरे  के  सामने  थे  l   पथ  संकरा  होने  के  कारण   एक  के  राह  छोड़े  बिना  , दूसरा  जा  नहीं  सकता  था  ,  लेकिन  कोई  भी  राह  छोड़ने  को  तैयार  नहीं  था  l   दोनों  ने  इसे  अपनी  प्रतिष्ठा  का  प्रश्न  बना  लिया  , कोई  भी  झुकने  को  तैयार  न  था  l  प्रचेता  ऋषि  को  क्रोध  आ  गया  ,  वे  तपस्वी  तो  थे  ही , लेकिन  क्रोध  के  कारण  बिना  परिणाम  सोचे  उन्होंने  कल्याणपाद   को  श्राप  दे  दिया  कि  वह  राक्षस  हो  जाये   l  तप  के  प्रभाव  से   कल्याणपाद  राक्षस  बन  गया   और  प्रचेता  को  ही  खा  गया  l  

WISDOM -----

  आज  संसार  में  जितनी  भी  समस्याएं  हैं  , उनके  मुख्य  दो  ही  कारण  हैं ---- पर्यावरण   प्रदूषण  और  मानसिक    प्रदूषण    l   पर्यावरण   प्रदूषण    के  परिणाम  तो    प्राकृतिक  आपदाओं    के  रूप  में  संसार  के  सामने  हैं    लेकिन  फिर  भी  मनुष्य  सुधरता  नहीं  है  l  इसका  कारण  यही  है  कि  लोगों  की  मानसिकता  प्रदूषित   हो  गई  है   l   तृष्णा  , कामना , लोभ , लालच   आदि  बुराइयाँ  अपने  चरम  रूप  में  मनुष्य  पर  हावी  हैं   l  वैज्ञानिक  को  तो  ईश्वर  ने   विशेष  बुद्धि  दी  है  कि  वह  तरह -तरह  के  अविष्कार  कर  सके   लेकिन  इन  आविष्कारों  को  लोगों  तक  पहुँचाने  के  लिए  धन  की  आवश्यकता  होती  है   l  अब  कलियुग  की  मार  ही  ऐसी  है  कि  जो  धन  उपलब्ध   कराता  है   ,  उस  पर  स्वार्थ  हावी  है  , वह  उस  ज्ञान  का  उपयोग   इस  ढंग  से  करता  है  कि  उसकी  संपदा   कई  गुना  बढ़  जाए   l  धन  और  धनवान   जिस  क्षेत्र   में  प्रवेश  कर  लें ,  चाहे  वह  राजनीति  हो , शिक्षा  हो , चिकित्सा  हो  या  धर्म  हो  --वह  क्षेत्र    व्यापार    बन  जाता  है  l  वहां  गुणा -भाग   शुरू  हो  जाता  है   और  जनता   पिसती  रहती  है  l   व्यापार  में  किसी  को  लाभ  किसी  को  हानि  होती  है   जैसे  युद्ध  होता  है   तब  निर्दोष   बच्चे  आदि  प्रजा  मरती  है , जान -माल  का  नुकसान  होता  है , लेकिन  जो  युद्ध  की  सामग्री  बनाते  हैं  वे  मालामाल  हो  जाते  हैं   l   इसी  तरह  पर्यावरण  प्रदूषण  , कृषि  आदि  खाद्य  पदार्थों  में   रासायनिक  तत्वों  के  होने  से   लोग  बीमार  पड़ते  हैं , जब  महामारी  की  घोषणा  होती  है  और  महामारी  फैलती  है   तब  लाखों  मरते  हैं   लेकिन  जो  दवाइयां , इंजेक्शन  आदि   बनाते  हैं  , उनकी  संपदा  बहुत  बढ़  जाती  है  l   सत्य  यह  है  कि  मनुष्य  स्वयं  अपने   ' मन '  से  मजबूर  है  ,   अपनी  मानसिक  बुराइयों  से  जीत  नहीं  पाता , उसके  आगे   घुटने  टेक  देता  है ,  यदि  कोई  सही  राह  दिखाए  भी   तो  उसे  सहन  नहीं  करता , मिटाने  को  आतुर  हो  जाता  है    इसीलिए  परिवार  हो , समाज  हो , राष्ट्र  हो  या  संसार   सब  जगह  तनाव  और  हाहाकार  है  l   आज  की  सबसे  बड़ी  जरुरत  है  कि  सबके  पास  सद्बुद्धि  हो  ,  लोग  ईश्वर  से   डरें   और  इस  सत्य  को  स्वीकार  करें  कि  उनके  हर  कदम  पर , उनकी   भावना  क्या  है , सब  पर  ईश्वर  की  नजर  है  l  कर्मफल  के  सिद्धांत  को  समझें ,  ईश्वर  के  क्रोध  को  चुनौती  न  दें  l