1 December 2018

WISDOM ---- व्यक्तित्व का परिष्कार ही अध्यात्म है

 कर्मकांड  पर इतना  अधिक  जोर  दिया  गया  है  कि  लोग  अध्यात्म  का  सच्चा  स्वरुप  भूल  गए  हैं  l   कहीं  अखंड  कीर्तन , कहीं  अखंड  जप ,  कहीं  अखंड  रामायण --- इन  सबके  साथ यदि  अपने  व्यक्तित्व  का परिष्कार  भी  किया  जाये   तो  चारों  ओर  सुख - शांति  का  साम्राज्य  हो  जाये  l   अपने  स्वार्थ , लालच  , अहंकार ,  ईर्ष्या   और  कभी  न  मिटने  वाली  तृष्णा   के  वशीभूत  हो  कर  छल - फरेब,  षड्यंत्र   आदि   दुष्कर्मों  में  ऐसा  संलग्न  है  कि  इन  कर्मकांडों  का ऐसे  व्यक्ति  को  और  समाज  को  कोई  लाभ  नहीं  मिल  पाता  l 
  सभी  धर्मों  में  ह्रदय  की  पवित्रता  पर  जोर  दिया  गया  है  ----
   ईसामसीह  अपने  शिष्यों  के  साथ  यरुशलम  पहुंचे   l  वहां  के  गिरजाघर     की  शान - शौकत  को  देखकर  बोले --- " इसकी  सारी  भव्यता  बेकार  है  l  एक  दिन  यह  गिरकर  तबाह  हो  जायेगा  l  "   उनकी  बात  सुनकर  शिष्य  दुखी  हो  गए   और  कहने  लगे ---- "  आप  प्रभु  के  घर  के  बारे  में   ऐसा  क्यों  सोचते  हैं  ? " 
ईसामसीह  बोले  --- " मैं  तुम्हे  अपना  ध्यान  भगवान  के  उस  मंदिर  में  लगाने  को  कहता  हूँ  ,  जो  कभी  नष्ट  नहीं  हो  सकता  l  तुम्हारी  अंतरात्मा  प्रभु  का  शाश्वत  निवास  स्थान  है  l  सारी  दुनिया  खत्म  भी  हो  जाये   तो  भी  तुम  अपने  प्रभु  का  दर्शन  वहां  हमेशा  कर  सकते  हो   l "
  शिष्यों  ने उनके  इस  कथन  का  मर्म  समझा   l