कर्मकांड पर इतना अधिक जोर दिया गया है कि लोग अध्यात्म का सच्चा स्वरुप भूल गए हैं l कहीं अखंड कीर्तन , कहीं अखंड जप , कहीं अखंड रामायण --- इन सबके साथ यदि अपने व्यक्तित्व का परिष्कार भी किया जाये तो चारों ओर सुख - शांति का साम्राज्य हो जाये l अपने स्वार्थ , लालच , अहंकार , ईर्ष्या और कभी न मिटने वाली तृष्णा के वशीभूत हो कर छल - फरेब, षड्यंत्र आदि दुष्कर्मों में ऐसा संलग्न है कि इन कर्मकांडों का ऐसे व्यक्ति को और समाज को कोई लाभ नहीं मिल पाता l
सभी धर्मों में ह्रदय की पवित्रता पर जोर दिया गया है ----
ईसामसीह अपने शिष्यों के साथ यरुशलम पहुंचे l वहां के गिरजाघर की शान - शौकत को देखकर बोले --- " इसकी सारी भव्यता बेकार है l एक दिन यह गिरकर तबाह हो जायेगा l " उनकी बात सुनकर शिष्य दुखी हो गए और कहने लगे ---- " आप प्रभु के घर के बारे में ऐसा क्यों सोचते हैं ? "
ईसामसीह बोले --- " मैं तुम्हे अपना ध्यान भगवान के उस मंदिर में लगाने को कहता हूँ , जो कभी नष्ट नहीं हो सकता l तुम्हारी अंतरात्मा प्रभु का शाश्वत निवास स्थान है l सारी दुनिया खत्म भी हो जाये तो भी तुम अपने प्रभु का दर्शन वहां हमेशा कर सकते हो l "
शिष्यों ने उनके इस कथन का मर्म समझा l
सभी धर्मों में ह्रदय की पवित्रता पर जोर दिया गया है ----
ईसामसीह अपने शिष्यों के साथ यरुशलम पहुंचे l वहां के गिरजाघर की शान - शौकत को देखकर बोले --- " इसकी सारी भव्यता बेकार है l एक दिन यह गिरकर तबाह हो जायेगा l " उनकी बात सुनकर शिष्य दुखी हो गए और कहने लगे ---- " आप प्रभु के घर के बारे में ऐसा क्यों सोचते हैं ? "
ईसामसीह बोले --- " मैं तुम्हे अपना ध्यान भगवान के उस मंदिर में लगाने को कहता हूँ , जो कभी नष्ट नहीं हो सकता l तुम्हारी अंतरात्मा प्रभु का शाश्वत निवास स्थान है l सारी दुनिया खत्म भी हो जाये तो भी तुम अपने प्रभु का दर्शन वहां हमेशा कर सकते हो l "
शिष्यों ने उनके इस कथन का मर्म समझा l