25 June 2019

WISDOM ----- आस्तिक और नास्तिक

 जब  विनोबा  भावे  ईश्वर  का  नाम  लेकर  गरीबों  की  सहायता  के  लिए  अपील  करते  थे  तो  कुछ  ऐसे  व्यक्ति  भी  निकल  आते  थे   जो  अपने  को  अनीश्वरवादी  कहते  थे  ल  तब  विनोबाजी  कहते  थे  --- " जो  लोग  यह  कहते  हैं  कि हम  भगवान  को नहीं  मानते  ,  वे  यह  तो  कहते  हैं  कि  हम  सज्जनता  को  मानते  हैं  , मानवता  को मानते  हैं  l  हमारे  लिए  इतना  ही  बहुत  है  l  कोई  आदमी  मानवता  को  माने  और  भगवान  को  न माने   तो  हमें  चिंता  नहीं  है  l  क्योंकि  मानवता  को  मानना  और  ईश्वर  को  मानना  हमारी  निगाह  में  एक  ही  बात  है  l 
वे  आस्तिक  व्यक्तियों  की  कमजोरियों  को  खूब  जानते  थे   l  उन्होंने कहा --- "  बहुत  लोग  मानते  हैं  कि  चन्दन  लगाने  से , माला  फेरने  से , राम  का  नाम  लेने  से  , झांझ - मंजीरा  लेकर  कीर्तन  करने  से  भगवान  प्रसन्न  होते  हैं  l  ये  सब  चीजें  अच्छी  हो  सकती  हैं  ,  लेकिन  भगवान  खुश  होते  हैं  --- ईमानदारी  से , सच्चाई  से  , दया  से , सेवा  से , प्रेम  से  l  ये  गुण  हैं  तो  दूसरी  चीजें  भी  अच्छी  हो  सकती  हैं  ,  ये  नहीं  तो  कुछ  नहीं  l  "  आस्तिकता  का  अर्थ  इतना  नहीं  है  कि  प्रातःकाल  उठकर   कुछ  भजन  कर  लिया  जाये   या  मंदिर  जाकर  भगवान  की मूर्ति का  दर्शन  कर  लिया  जाये  l  आवश्यकता  तो  यह  है  कि  दिनभर  अपने  समस्त  कामों  में   भगवान  के    आदेश  का  ध्यान  रखें  ,  उसके  विपरीत  आचरण  न  करें   l 
 स्वामी  विवेकानन्द  ने  भी  कहा  था  --- ' मंदिर  में  जाकर  भगवान  का  दर्शन  कर  लेने  और  नाम - जप  करने  के  साथ   नैतिकता  पर  चलने  और  चरित्र  को  ऊँचा   बनाने  की   अनिवार्य  रूप  से  आवश्यकता  है   l