27 November 2020

WISDOM -----

   परमात्मा  ने  चींटी   से  लेकर   हाथी  तक  की  सृष्टि  रचना  कर  डाली  l   तब  तक  सृष्टि  में  न  कोई  उत्पात  खड़ा  हुआ   न  झंझट  खड़ा  हुआ  l   न  ईश्वर  से  कोई  कुछ  मांगता   न  कोई  शिकायत  करता  l   किन्तु  जब  से  वह  मनुष्य  की   रचना  कर   चुका  ,  तो  उस  दिन  से  परमात्मा  बड़ा  हैरान , बड़ा  परेशान   रहने  लगा  l   नित  नए  उपद्रव , दंगे - फसाद  ,  शिकायतों  फरियादों  का  ताँता  लग  गया  l   सब  काम  रोककर  शिकायतें  निबटाते  ही  दिन  बीतता  l   एक  दिन  परमात्मा  ने  देवताओं  की  बैठक  बुलाई   और  कहा  कि   हमसे    जीवन  में  पहली  बार   इतनी  बड़ी   भूल  हुई  है   जितनी  कभी  नहीं  हुई  l   अनेकों  जीवों  की  रचना  की  , तब  तक  हम  बड़े  चैन  से  थे  ,  किन्तु  जब  से  मनुष्य  की  रचना  की   पूरी  मुसीबत  खड़ी  हो  गई  l   नित्य  ही  दरवाजे   पर मांगने  वालों   और  फरियाद  करने  वालों  की  भीड़  जमा  रहने  लगी  है  l   अब  कोई  उपाय  भी  नहीं  सूझता  कि   क्या  किया  जाये  ?  कोई  ऐसी  जगह  बताओ  जहाँ  मैं  छिपकर  बैठ  जाऊं  l   सब  देवताओं  ने  सुझाव  दिए  , किसी  ने  कहा  क्षीरसागर  में , किसी  ने  कहा  हिमालय  पर  तो  किसी  ने  कहा  चन्द्रमा  में  छुप  जाओ  l   भगवान   ने कहा  , मनुष्य  की  अक्ल  इतनी   पैनी  है  कि  वह  आकाश , पाताल   में  कहीं  भी  पहुँच  सकता  है  l   तब  देवर्षि  नारद  आए   बोले --- " भगवन  !  मनुष्य  के  दिल  में  छुपकर  बैठ  जाइये  l   इसकी  आँखें  बाहर  देखती  हैं  l   यह  चारों  ओर   खोजता  फिरेगा    अपने  अंदर   यह  कभी  आपको   खोजेगा  ही  नहीं  l '  कहते  हैं   जबसे  भगवान  मनुष्य  के   हृदय  में  छिपकर  बैठें  हैं  l   जो  इस  रहस्य  को  जनता  है  वही  उन्हें  खोज  पाता   है  l