18 June 2021

WISDOM ------

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ----- " जाल  में  फंसने  वाले  पक्षियों  की  ऐसी  दुर्गति  होती  है   कि   देखते  बनती  है   l   दूर  कौन  उड़कर  जाये ,  कौन  परिश्रम पूर्वक  दाना  चुगे   l   वे  तो  दाना   ढूंढ़ने   की  तुलना  में   जाल  पर  बिखरे  दानों  को    एक  सौभाग्य  जैसा  मानते  हैं    और  उससे  लाभ  उठाने  में  चूकने   की  बात  नहीं  सोचते   l   उन्हें  यह  सोचने  की   फुरसत   नहीं  होती   कि   लाभ  उठाते  समय   उसके  पीछे  कोई  दूरगामी  संकट   तो  नहीं  छिपा  है  ,  उसे  भी  देखने  की  आवश्यकता  है   l   हर  लोभी  अधीर - आतुर  होता  है    और  तात्कालिक  लाभ  के   कुछ  एक  दाने  चुग    लेने  के  बाद  ,  उस  पक्षी  की  तरह  बेमौत  मरता  है   ,  जिसे  सामने   बिखरे  आकर्षण   के  अतिरिक्त   अन्य  कोई  बात  सूझती  ही  नहीं   l  "

WISDOM ------

 खलील  जिब्रान   एक  ख्याति  प्राप्त  विद्वान्  थे  , उन्होंने  अपनी  कथाओं  के  माध्यम  से   जीवन  दर्शन  संबंधी   सूत्र  और   नैतिक  सीख  दी   l   उनकी  एक  कथा  है  ------ वे  लिखते  हैं ------ ' मैं  एक  सपना  देख  रहा  था  l   सपने  में  एक  भयानक   भूत    ने  मुझे  पकड़  लिया  और  मेरा  नाम  पूछा  ,  मैंने  बताया  ' अब्दुल्ला  '  l    भूत   बोला  --- इसका  अर्थ  होता  है  --ईश्वर  का  दास  '  लेकिन  तुम  अपने  कार्य  और  चेहरे  से  ऐसे  नहीं  लगते  हो   l   भूत   कहने  लगा  --- तुम्हारी  बिरादरी  के  लोगों  ने  मिलकर  ईश्वर   की  नाक  में  दम   कर  रखी  है  l   तुम्ही  लोगों  की  अक्ल  ठिकाने  लगाने  के  लिए  ईश्वर  ने  मुझे  नियुक्त  किया  है   l   तुम  लोग  धर्म  की  बातें  कर  के  अपनी  चमड़ी  बचाते   हो   और  उन  कामों  को  करने  में  लगे  रहते  हो   जिनकी  खुदा  ने  मनाही  की  है   l   धर्म  प्रवक्ताओं  की  इस  क्रिया   पद्धति   से  खुदा  बहुत  दुखी  व  नाराज  है  l  '     सपने  में  ही    उन्होंने   भूत   से  कहा  ---  मैं  ऐसी  गलती  नहीं  करूँगा  ,  मेरे  लिए  कुछ  सेवा  हो  तो  बताएं    और  मुझे  जाने  दें  l  '  भूत  ने  हँसते  हुए  उन्हें  एक  फावड़ा  थमा  दिया   और  कहा  ---- " फुरसत   के  समय  तुम  कब्रें  खोदते  रहना   l   इस  दुनिया  में  चलते - फिरते  प्रेत  बहुत  हैं   l   तुम  उन्ही  को  दमन  करना   l   खुदा  ने  तुम्हारे  लिए   यही  जिम्मेदारी  सौंपी  है   l  "  'जिन्दा  प्रेत   ? '     भूत    ने  कहा  ----- "  जो  दूसरों  का  दर्द  नहीं  समझ  सकते  ,  जिन्हे  आपाधापी  के   अलावा   और  कुछ  नहीं  सूझता  ,  जिनके  पास   दूसरों  को  धोखा  देकर    अपना  स्वार्थ  सिद्ध  करना    ही  एकमात्र  धंधा  है  ,  वे  जिन्दा  भूत  नहीं  तो  और  क्या  हैं  ?   ऐसे  व्यक्ति  धरती  पर    बोझ     हैं  ,  समाज  के  लिए  सिरदर्द  हैं  ,  जीवित  रहते  हुए  भी  मृतक  के  समान   हैं   l     उन्हें   दफन    नहीं   करोगे   ,   तो   इस   दुनिया   में    जिन्दों    को  रहने    के    लिए     जगह     ही    कहाँ     बचेगी   ?  "  खलील  जिब्रान    अपने  मित्र    को  सपना  सुनाते    और    कहते  हैं    कि   यह  सपना  मुझे  बार - बार  आता  है   l   मैं  कब्र   खोदता  हूँ  और    अपने संकीर्ण  विचारों  को   उसमे   गहरे  गाड़  देता  हूँ  l   सोचता  हूँ  यह  सपना  औरों  को  भी  समझ  में  आ  जाये    तो  खुदा  को  हैरान  न  होना  पड़े   ,  जिन्दा  प्रेत  कहीं  नजर  न  आएं   ,  सारा  संसार  सही  अर्थों  में    मनुष्यों  से  घिरा   सुख - समुन्नति  की  ओर   बढ़ता  दिखाई  देने  लगे   l