एक राजा ने एक गुलाम ख़रीदा l उन्होंने गुलाम से पूछा --- " तेरा नाम क्या है ? " उसने उत्तर दिया --- " हुजुर ! जिस नाम से पुकारें वही मेरा नाम होगा l " राजा ने फिर पूछा --- " तू क्या खायेगा और क्या पहनेगा ? " उसने कहा ---- ' हुजुर ! जो खिला दें और जो पहनने को दें l " राजा ने पूछा ---- " तू क्या काम करेगा ? " गुलाम बोला --- " जो आप कराएँ l " तब राजा ने पूछा --- " आखिर तू चाहता क्या है ? " गुलाम ने कहा --- " हुजुर ! गुलाम की क्या कोई चाहत होती है ? " यह सुनकर राजा ने गद्दी से उतारकर उसे ह्रदय से लगा लिया और कहा ---- " मैं आज से तुमको अपना गुरु मानता हूँ , तुमने मुझे बता दिया कि परमात्मा का सेवक कैसा हो ? ईश्वर के प्रति समर्पित समर्पित भक्त की आपनी कोई निजी इच्छा नहीं होनी चाहिए l