27 May 2018

WISDOM --- प्रकृति का नैसर्गिक साहचर्य ही मनुष्य को स्वास्थ्य , सुख एवं समृद्धि के अनुदान दे सकता है l

 सुविख्यात  मनीषी   कार्ल  मेनीन्जर  ने  अपनी  कृति  ' मैन  अगेंस्ट  हिमसेल्फ '  में  कहा  है -- " आज  सभ्यता  उन  लोगों  द्वारा   विकसित  हो  रही  है  , जो  प्राकृतिक  संपदाओं  को  नष्ट  करते  हैं  , प्रकृति  का  विनाश  करते  हैं   और  अपने  ही  ठौर - ठिकानों   को  प्रदूषित  कर  के   स्वयं  मृत्यु  का  वरण  करने  पर  उतारू  हैं   l  हर  व्यक्ति  आज  जाने - अनजाने  अपने  को  मारने  के  लिए  तीव्रता  से  या  धीमी   गति  से  प्रयास  कर  रहा  है   l  '
  विनाश  की  दर  विकास  की  अवस्था  से  तीव्र  होती  है   l  किसी  नई  प्रजाति  के  विकास  में  लाखों  साल  लग  जाते  हैं   लेकिन  पर्यावरण  का  विनाश   कुछ  सदियों  में  हो  जाता  है  l   हमें  समय  रहते  होश  में  आ   जाना  चाहिए   अन्यथा  वह  दिन  दूर  नहीं  जब   संकटों  से  घिरा  मानव   उस  रेगिस्तान  में  होगा  , जहाँ  उपलब्धियां  तो  हो  सकती  हैं  ,  लेकिन  उसे  प्यार  देने  और  प्यार  बांटने  वाले  जीव - जंतु  और  वनस्पति  नहीं  होगी   क्योंकि  अब  चिड़ियों  ने  चहचहाना   बंद  कर  दिया  है ,  उनका  बसंत  थम  गया  है  l  भीषण  गर्मी ,  पानी  की  कमी   और  प्रकृति - पर्यावरण  के  प्रति   हमारी  संवेदनहीनता   हमें  किस  मोड़  पर  ले  जाएगी  ?