1 May 2013

CHANGE YOUR PERCEPTION

द्रष्टिकोण के परिवर्तन से जहान बदल सकता है |
आशावादी व्यक्ति सर्वत्र परमात्मा की सत्ता विराजमान देखता है | उसे सर्वत्र परमात्मा की मंगलदायक कृपा बरसती दिखाई देती है |  सच्ची शांति ,सुख और संतोष मनुष्य की अपने ऊपर ,अपनी शक्ति पर विश्वास करने से प्राप्त होता है |
        दुनिया में बुरे लोग हैं ठीक है पर यदि हम अपनी मनोभूमि को सहनशील ,धैर्यवान और उदार बना लें तो अपनी जीवन यात्रा आनंद पूर्वक तय कर सकते हैं |
        जो उपलब्ध है उसे कम या घटिया मानकर अनेक लोग दुखी रहते हैं | यदि हम इन लालसाओं पर नियंत्रण कर लें ,अपना स्वभाव संतोषी बना लें तो अपनी परिस्थितियों में शांतिपूर्वक रह सकते हैं |
        अपने से अधिक सुखी ,अधिक साधन -संपन्न लोगों के साथ अपनी तुलना की जाये तो प्रतीत होगा कि सारा अभाव और दरिद्रता हमारे ही हिस्से में आया है परंतु यदि हम अपने से अधिक समस्याग्रस्त और दुखी लोगों से अपनी तुलना करें तो हमारा असंतोष ,संतोष में परिणत हो जायेगा और अपने सौभाग्य की  सराहना करने को जी चाहेगा |
             सूर्य प्रतिदिन अपने उसी क्रम से निकलता है उसके प्रति हमारा द्रष्टिकोण प्रतिदिन उगते रहने वाले सूर्य जैसा ही होता है ,किंतु यदि हम अपना द्रष्टिकोण बदलें और विराट जगत के महान क्रियाशील शक्तितत्व के रूप में उस सूर्य का चिंतन करें तथा सूर्योदय के समय गायत्री मंत्र के जप के साथ प्रकाश का सम्मान करें तो वह महाप्राण हमारे शरीर को प्राण शक्ति से भरपूर और हमारे सम्पूर्ण जीवन को प्रकाशित कर देगा | 

THOUGHT IS THE SOUL OF ACT

मनुष्य का जीवन उसके विचारों का प्रतिबिम्ब है | सफलता -असफलता ,उन्नति -अवनति ,तुच्छता -महानता ,.सुख -दुःख ,शांति -अशांति आदि सभी पहलू मनुष्य के विचारों पर निर्भर करते हैं | विचारों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है | विचारों की शक्ति से बढ़कर इस संसार में कोई शक्ति नहीं है | इसी के सहारे मनुष्य जो बनना चाहता है ,बन सकता | यदि सोचने का सही तरीका जान लिया जाये ,तो समझना चाहिये कि संतोष ,सहयोग और सफलता प्राप्त करने की कुंजी हाथ लग गई |
कितने ही व्यक्ति विकलांगता को अभिशाप मान कर रोते हैं ,भाग्य और विधाता पर दोषारोपणकरते रहते हैं ,किंतु महाकवि मिल्टन अंधे थे ,उनके विचार ऐसे लोगों से भिन्न थे | वे कहते थे -65 इंच लंबे - चौड़े शरीर में आँखों की 2 इंच की कमी से पूरे शरीर को अनुपयोगी ठहराना कहां की बुद्धिमानी है | वे पूरे जीवन ज्ञान -साधना में लगे रहे | ऐसे परिपक्व विचारों के  कारण ही विश्व विख्यात कवियों की श्रेणी मे उनका नाम आज भी बड़े आदर के साथ लिया जाता है |
व्यक्ति अजस्त्र शक्तियों का भण्डागार है ,उसमे प्रचुर सामर्थ्य है | यदि वह अपने विचारों में दूरदर्शी विवेकशीलता का समावेश कर ले ,तो दुर्बल और दुर्भाग्यग्रस्त रहने वाला व्यक्ति भी अपने जीवन में सौभाग्य की स्थिति का आनंद उठा सकने में समर्थ हो सकता है |