2 April 2019

WISDOM ----- जियो और जीने दो

 इनसान  चाहे  वह  स्त्री  हो  या  पुरुष  ,  एक  इनसान  ही  है  ,  वस्तु  नहीं  , जिसका  जब  चाहे  इस्तेमाल  कर  लिया  जाये  l  इनसान  है  तो  उसके  भीतर  सब  प्रकार  की  भावनाएं  हैं  l
  शोषण  की  मानसिकता  है   कि  दूसरे  की  कमियों  का  लाभ  उठाकर   उसे  सदा  नियंत्रण  में  रखो   और  अपना  हित  साधने  के  लिए   उसका  उपयोग  करो  l  जब  तक   वह  उपयोगी  है  ,  तब  तक  उसका  उपयोग  करो   और    अनुपयोगी  होने  पर   उसे  उठा  कर  फेंक  दिया  जाये  l   शोषण  के  साथ  एक  प्रकार  की क्रूरता  का  भाव  है  ,  जिसमे  मानवीय  संवेदनशीलता   और  सहकारिता  का  कोई  स्थान  नहीं  है  l   यही  सिद्धांत  आज   आज  परिवार , समाज ,   संस्थाएं ,  राजनीति  आदि  विभिन्न  क्षेत्रों  में  कार्य  करता  नजर  आता  है   l    शोषण  से  विकार  उत्पन्न  होते  हैं  , इससे  ही  सम्पूर्ण  समाज  में  अशांति  उत्पन्न  होती  है   l 
  शोषण  के  विपरीत  यदि  पोषण  हो  , तभी  किसी  देश  का  सही  अर्थों  में  विकास  होगा  l  यह  पोषण  कई  तरीके  से  हो  सकता  है   जैसे  कोई  आर्थिक  रूप  से कमजोर  है    तो   उसे   स्वावलंबी  बनाने  के  लिए   विभिन्न  उपाय  करना ,  प्रशिक्षण  देना  आर्थिक  पोषण  है  l  एक  दूसरे  की  कमियों  , कमजोरियों  का  फायदा  न  उठाकर   संवेदनशील  ढंग  से  उनका  समाधान  करना    ही  मानवता  है  l
      आज  के  समय  में  दुर्बुद्धि  के  कारण  ,  तुरंत  लाभ  पाने  के  लिए   लोग   अन्यायी  का  , गलत  राह  पर  चलने  वाले   का  साथ  निभाते  हैं   l  यह  सहयोग  नहीं  है   l  सद्गुणों  में  नैतिकता  की  प्रधानता  होती  है  l