7 May 2021

WISDOM ------

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  का  कहना  है  --- " बुद्धिजीवी - विचारशील  वर्ग  पर  भगवान  ने   समाज  रूपी  बगिया  के  माली  का  भार  सौंपा  है  l   यदि  वह  अपनी  जिम्मेदारी  को  निभाने  में  प्रमाद  करते  हैं   तो  किसी  न  किसी  समय ,  किसी  न  किसी  तरह  उन्हें   इसका  खामियाजा  भुगतना  पड़ेगा  l  "     आचार्य श्री    लिखते  हैं  ---- ' प्रकृति  की  मर्यादाओं - नियत  नियमों  की  अनुकूल  दिशा  में  चलकर  ही   सुखी  , शांत  और  संपन्न  रहा  जा  सकता  है  l   ग्रह , नक्षत्र  , तारे , ग्रह  - उपग्रह   एक  नियम  मर्यादा   के  अनुसार  चलते  हैं  l   वे  अपने  निश्चित  विधान  का  जरा  भी  उल्लंघन  नहीं  करते  l   प्रकृति  ने   अपने  परिवार  के   समस्त  सदस्यों   को  इस   व्यवस्था   मर्यादा  में   बांध   रखा  है  कि   वे  अपना  मार्ग  न  छोड़ें   इसलिए  सारी   व्यवस्था  सुचारु  रूप  से  चल  रही  है   l   केवल  मनुष्य  ही  ऐसा  है   जो  बार - बार   नियति  के  विरुद्ध  जाने  की  धृष्टता  करता  है  ,  मर्यादाओं  का  उल्लंघन  करता  है   l  "  विज्ञान   ने  हमें  बहुत  सुख - सुविधाएँ  दीं   लेकिन  संसार  के  सारे  सुख- सुविधाओं     का  उपभोग  तो  इसी  शरीर   से  संभव  है   l   यदि  मनुष्य  मर  जाए   या  चलती - फिरती  लाश  बन  जाए ,  हर  पल  ,  हर   किसी  से   भयभीत  रहे    तो  सब  सुख - सुविधाओं  का ,  भोग - विलास  के  साधनों  का  कोई    अर्थ   नहीं   रह  जाता   l  जब  विज्ञान   के  साथ  चंद   लोगों  का ,  कुछ  संस्थाओं  का  स्वार्थ  जुड़  जाएगा   तब  इस  संसार  को  शमशान  बनने  में  देर  नहीं  लगेगी   l   ईश्वर  ने  हमें  चयन  की  स्वतंत्रता  दी  है  -- यह  हमारे  हाथ  में  है  कि   हम  सही  मार्ग  चुने  ---- हम   विवेकपूर्ण , संवेदनशील   इनसान   बनकर   जीना  चाहते  हैं   या   मानसिक  गुलामी  में  चलती -फिरती  लाश  बनकर  जीना  चाहते  हैं  l   जागरूक   हो ,   ' जब  जागो  तब  सवेरा  l  '