1 April 2024

WISDOM -----

    संत  अहमद  से  कुछ  शिष्य  बोले  --- " महाराज  !  हमें  ईश्वर  के  किसी  सच्चे  भक्त  के  बारे  में  बताइए   l "  संत  ने  कहा ---- " तो  सुनो  , बहराम  मेरा  पड़ोसी  था  l  मुझसे  उसकी  मित्रता  हो  गई  l  वह  मालदार  व्यापारी  था  l  एक  दिन  राह  में   डाकुओं  ने  उसके  कारवां  को  लूट  लिया  l  यह  सुनकर  मैं  उसे  ढाढस  बंधाने  गया  l  जब  मैं  उसके  घर  पहुंचा  ,  तो  बहराम  ने  सोचा  --- शायद  मैं  भी   दूसरों  की  तरह  भोजन  के  लिए  आया  हूँ  l   मैंने  उससे  कहा --- "  भाई  कष्ट  मत  करो  l   मैं  भोजन  की  आशा  से  नहीं  , बल्कि  तुम्हारे   इस  भारी  नुकसान  में   तुम्हे  ढाढस  बंधाने  आया  हूँ  l "  इस  पर  बहराम  बोला  --- "  हाँ  , यह  सच  है  कि  मुझे  लाखों  का  नुकसान  हुआ   है  l  लेकिन  ईश्वर  की  कृपा  है  कि   उन्होंने  मेरी  शाश्वत  संपत्ति  को  हाथ  तक  नहीं  लगाया  l  वह  संपत्ति  है  ---- ईश्वर  में  मेरी  आस्था  l  वही  तो   जीवन  की  सच्ची  संपत्ति  है  l "  संत  बोले  ----- "सत्पुरुषों  की  श्रेष्ठता   उनकी  आस्था  के  स्तर   के  आधार  पर  ही  पनपती  है  l  जिन्हें  ईश्वर  में  आस्था  नहीं  है   वे  न  तो  भक्त  हो  सकते  हैं  ,  और  न  ही  सज्जन  l  "