16 November 2018

WISDOM ------ प्रत्येक श्रेष्ठ और महान कार्य की सफलता में गंभीर मौन सहायक रहा है l

  सार्थक  मौन  उसे  कहते  हैं  जब   मन  में  श्रेष्ठ  चिंतन  और  ईश्वर  स्मरण  चलता  रहे   l
 जब  व्यक्ति  बोलता  है   तो  जिह्वा  हावी  रहती  है   लेकिन  मौन    की    अवस्था में  अंतर  बोलता  है  ,  हमें  अपने  अंतर  को  बोलने  का  मौका  देना  चाहिए  क्योंकि  इसी  में  जीवन  का  सारा  मर्म    छुपा   है   l 
   गांधीजी  के  मौन  का   प्रभाव   ऐसा  विलक्षण  और  अद्भुत  था   जिसने  कभी  न  अस्त  होने  साम्राज्य  को  पराजय  का कडुआ  घूंट  पिला  ही  दिया   l 
 अरुणाचलम  के  महर्षि  रमण  सदैव  मौन  रहते  थे  l  परन्तु  उनका  मौन  उपदेश  आत्मा  की  गहराई   में  उतर   जाता  था  l  हर  कोई उनसे  अपनी  गंभीर  समस्या  का  समाधान   अनायास  ही  पा  जाता  था  l   अंग्रेजी  साहित्य  के  महान  कवि   वर्ड्सवर्थ    अपने  काव्य  को   मौन  और  नीरवता  का  वरदान   कहा  करते  थे  l 
  जीवन  में  श्रेष्ठ  एवं  सार्थक  कार्य   के  लिए   मौन  को  एक  व्रत  मानकर  अपनाना  चाहिए   l