27 January 2023

WISDOM ---

 आज  संसार  में  जितनी  भी  समस्याएं  हैं ,  जाति , धर्म  आदि  के  नाम  पर  जो  झगड़े  हैं   ,   उनके  मूल  में  एक  ही  कारण  है   कि   मनुष्य  की  चेतना  को  उच्च  स्तर  पर  ले  जाने  का  कोई  प्रयास  नहीं  हुआ  l  भौतिक  विकास  तो  बहुत  हुआ  लेकिन  मानवीय  मूल्यों  को  विकसित  करने  का  कोई  प्रयास  नहीं  हुआ  l  स्वार्थ  , लालच , महत्वाकांक्षा   जैसे  दुर्गुणों  के  कारण  ही  समाज  में  अशांति  है  l  नेता  चाहता  है  उसे  वोट  मिल  जाए , उसकी  गद्दी  सलामत  रहे  , चाहे  समाज  बाँट  जाये ,  जिनके  पास  धन -संपदा  है , वे  चाहते  हैं  पूरी  दुनिया  को  अपना  गुलाम  बना  लें ,  जो  अपने  को   श्रेष्ठ  समझते  हैं   , वे  दूसरों  को  अपमानित  करने  में  आनंद  लेते  हैं ,  और  स्वयं  में  चाहे  कितने  भी  ऐब  हों , चाहते  हैं  उनका  सम्मान  किया  जाये  l  मनुष्य  की   ये  मानसिक  कमजोरियां  , उसके  दुर्गुण  उसे  पशुता  की  ओर  ले  जाते  है , जो  स्वयं  उसके  लिए  और  सम्पूर्ण  समाज  के  लिए  घातक  हैं  l  संसार  में  सुख -शांति  चाहिए  तो  मनुष्य  को  इनसान  बनाने  का  प्रयास  करना  होगा  l 

WISDOM -----

    लघु -कथा ---- उत्तराखंड  के  एक  प्राचीन  नगर  में  सुबोध  नामक  राजा  राज्य  करते  थे  l  महाराज  का  नियम  था  कि  राजकीय  कार्य  प्रारम्भ  होने  से  पूर्व  वे  आए  हुए  याचकों  को  दान  दिया  करते  थे  l  एक  दिन  जब  सब  लोग  दान  पा  चुके    तो   अंत  में  एक  व्यक्ति  ऐसा  आया  जो  दान  के  लिए  हाथ  तो  फैलाए  था,  पर  मुंह  से  कुछ  न  कहता  था  l  सब  हैरान  हुए  कि  इसे  क्या  दिया  जाए  ?  बुद्धिमान  लोगों  की  समिति  बैठाई  गई  l  किसी  ने  अन्न , किसी  ने  वस्त्र  या  आभूषण  देने  की  सिफारिश  की  l  राजा  की  कन्या  भी  वहां  उपस्थित  थी  l  उसने  कहा --- "  जो  व्यक्ति  बोल  नहीं  सकता  है , , अपने  भाव  व्यक्त  नहीं  कर  सकता  है  , उसके  लिए  वस्त्र -आभूषण  सब  व्यर्थ  हैं  l  ऐसे  लोगों  के  लिए  सर्वश्रेष्ठ  दान  तो  ज्ञानदान  है  l  ज्ञान  से  मनुष्य  अपनी   सम्पूर्ण  इच्छाएं  स्वयं  पूर्ण  कर  सकता  है   और  दूसरों  को  भी  सहारा  दे  सकता  है  , इसलिए  इसे  ज्ञानदान  दीजिए  l "   कन्या  की  सलाह  को  सबने  पसंद  किया   और  उस  व्यक्ति  के  लिए  शिक्षा  की  व्यवस्था  की  गई  l  राजा  ने  उस  दिन  अपने  दान  की  सार्थकता  समझी  l  यही  व्यक्ति  आगे  चलकर  उस  नगरी  का  विद्वान्  मंत्री  नियुक्त  हुआ  l   यह  कथा  हमें   बताती  है  कि  अज्ञान   का  निवारण  सच्चा  पुण्य -परमार्थ  है  l   बाढ़, भूकंप , युद्ध  आदि  कोई  भी  आपदा  आ  जाये  , जिसमे  व्यक्ति  की  धन -सम्पति  नष्ट  हो  जाए  ,  लेकिन  ज्ञान  उसकी  आत्मा , उसके  मन  में  समाया  होता  है , भयंकर  आपदा  भी  उसके  हुनर  को ,  उसके  ज्ञान  को   नहीं  मिटा   पाती  l  और  अपने  ज्ञान  के  बल  पर  वह  स्वयं  को  पुन: स्थापित  कर  लेता  है  , अपने  परिवार  व् अन्यों  को  भी  सहारा  देने  योग्य  बन  जाता  है  l