28 December 2020

WISDOM -----

   वर्तमान  में   सामान्य मनुष्य  से  लेकर  नेता , सेठ , साहूकार  पुण्य  कार्य  तो  बहुत  करते  हैं    इससे  संसार  में  सुख - शांति  होनी  चाहिए   लेकिन  भ्रष्टाचार  और  बेईमानी   इस  सुख - शांति  की  राह  में  दीवार  है  -----  एक  कहानी  है  ----   एक   गाँव  में   एक  सेठ जी  थे  l  बहुत  वैभव  था  उनके  पास  l   सत्संग  में  उनने  सुन  रखा  था  कि   दान - पुण्य  करने  से  मृत्यु  में  कष्ट  नहीं  होता   और  भगवान  के  दूत  लेने  आते  हैं  l   इसलिए  वे   अपने  गाँव  और  आसपास  के  क्षेत्रों  के  गरीबों  के  बच्चों  की  शिक्षा , , इलाज , रहने  की  व्यवस्था  आदि  के  लिए  अपने  अति विश्वासपात्र  लोगों  के  माध्यम  से   धन  भिजवाते  थे   और  कुछ  गरीबों  को  अपने  घर  में  अपने  हाथ  से  भोजन  परोसते  थे  l   सत्संग  का  प्रभाव  था  , सेठ जी  बड़े  निश्चिन्त  थे  कहते  थे  हमारे  लिए  तो  सीधा  वैकुण्ठ  से  विमान  आएगा  , विष्णु भगवान  के  दूत  आएंगे   और  ले  जायेंगे  l   उनके  चापलूस  उनकी  बड़ी  तारीफ़  करते   और  गरीबों  की  संख्या  भी  बढ़ाते  जाते  l   मृत्यु  तो  निश्चित  है  , आखिर  वो  दिन  भी  आ  गया  l   भगवान  के  दूत  तो  नहीं  आये ,  दरवाजे  पर  डरावने  यमदूत  खड़े  थे  उन्होंने  बड़ी  बेरहमी  से  सेठ  की  आत्मा   को खींचा   और  घसीटते  हुए  ले  चले  l   सेठ  बहुत  चिल्लाया  ---देखो  मेरे  लिए  लोग  कितने  दुःखी   हैं  ,  मैंने  कितने  पुण्य  किये  हैं  ,  मैं  देख  लूंगा  l '  यमदूतों  ने  उन्हें  चित्रगुप्त  महाराज  के  दरबार  में  पटक  दिया  l   हो - हल्ला  सुनकर  महाराज  सेठ   के पास  आये  पूछा  -  क्या  बात  है  ?  सेठ  ने  पूरी  कथा - गाथा  कही  कि   मैं  तो  पुण्यात्मा  हूँ  ,  आपके  दूतों  ने  बड़ा  कष्ट  दिया  l '  महाराज  ने  कहा --- चलो , रजिस्टर  देखें  , प्रकृति  में  इतनी  बड़ी  गलती  कैसे  हो  गई  ?  '  जब  रजिस्टर  देखा   तो  महाराज  ने  सेठजी  को  दिखाया  कि   देखो ,  तुमने  धन  भेजा  ,  लेकिन  पीड़ितों  का  कालम  तो  खाली   है ,  उन्हें   तो मिला  ही  नहीं  l '  अब  सेठ  बहुत  विलाप  करने  लगा  ,  मामला  धर्मराज  के  पास  पहुंचा   l   धर्मराज  ने  बहुत  गहराई   से अध्ययन  किया   और  कहा  देखो , तुम्हारे  अन्नदान   का तो  पुण्य  है    लेकिन  तुमने  स्वयं  बेईमानी  से  धन  अर्जित  किया   इस  कारण  तुम   लोगों को  सच्चाई  व  ईमानदारी  नहीं   सिखा   पाए  l   तुम्हारी  मदद  पहुँचने  से  पहले  ही   दबंगों  ने   विभिन्न  तरीकों  से  पीड़ितों  का  धन  हड़प  कर  उन्हें  और  पीड़ित  किया   इसलिए   तुम्हारे  खाते   में  पाप  का  स्तर  बढ़  गया  l   अब  तो  सेठ  सिसक -सिसक  कर  रोने  लगा   पर  अब  पछताए  क्या  होत ,  जब  चिड़िया  चुग  गई  खेत  l  धर्मराज   ने कहा  ---- प्रकृति  के  दंड विधान  के  अनुसार   जो  भोग  है  उससे  कोई  भी  नहीं  बचा  है  l   जब  फिर  से  धरती  पर  जन्म  हो   तो  लोगों  के  विचारों  को  परिष्कृत  करने  का  कार्य  करो ,  स्वयं  सच्चाई   की राह  पर  चलकर  ,  अपने  आचरण  से  लोगों   को शिक्षा  दो  l  सच्चाई  और  ईमानदारी  की  कमाई  ही  फलती  और  पुण्य  देती  है   l