25 March 2020

WISDOM ------ यह समय अपनी भूलों को सुधारने का है

  आज    विश्व  में  अधिकांश  देशों  के  लोग  इस  महामारी  के  कारण  एकांतवास  में  है  l  यह  एकांत   का  समय  हम  किसी  को  दोष  देने  में  न  गंवाएं  बल्कि  चाहे  कोई  सामान्य  व्यक्ति  हो , धन - संपन्न , उच्च  पदवीधारी  हो  या  बड़ी  सरकारें  हो  ,  यह  आत्मविश्लेषण  का  वक्त  है  ,  आखिर  कौन  सी  गलतियां  हैं  जिनकी  वजह  से  प्रकृति  हमसे  नाराज  हो  गई  ? 
 चाहे  जो  भी  गलतियां  हों  उनके  पीछे  कुछ  लोगों  का  अहंकार  व  स्वार्थ  है  और  गलती  भी   श्रंखलाबद्ध  होती  है  जिससे  पूरा  पर्यावरण  प्रदूषित  हो  जाता  है    जैसे ----- मनुष्य  जो  भी  व्यवसाय  करता  है  ,  वह  लाभ  की  आशा  से  करता  है   , और  लाभ  कब  होगा  ?  जब  मॉल  बिकेगा ,  बाजार  में  उस  माल  की  मांग  अधिक  होगी  l  अब  यदि  हृदय  में  संवेदना  का  स्रोत  सूख   गया  है  तो  व्यवसायी  वह  हर  संभव  कार्य  करेगा  जिससे  उसका  माल  बिक  जाये  l   युद्ध  के  लिए  बड़े - बड़े  मारक  हथियार , बम , टैंक  आदि , दंगे - फसाद  आदि  के  लिए  हर  तरह   के मारक  अस्त्र  आदि l   इनकी  मांग  जितनी  अधिक  होगी  उतना  ही  लाभ  होगा   और  इस  व्यवसाय  में  लाभ  का  अर्थ  है  --- सम्पूर्ण  संसार  को  हानि , तनाव , कभी  न  मिटने  वाले  दुःख  !
  कहते  हैं  विनाशकारी  बम  आदि  बनाने  के  लिए  धरती  को  बहुत  गहरे  खोद  कर   आवश्यक  खनिज   निकाले    जाते  हैं   l   हमारे  धर्मशास्त्रों  में  धरती  को  माँ  कहा  गया  है  , माँ  हम  सबका  पालन  करती  है   इसलिए  जो  बहुत  हानिकारक  पदार्थ  हैं  उनको  माँ  ने   अपने  गर्भ  में  , बहुत  गहराई  में  छुपा  कर  रखा   ताकि  धरती  पर  रहने  वाली  उसकी  सन्तानो  को   कोई  नुकसान  न  पहुंचे  लेकिन  मनुष्य  ने  भूल  की l
  एक  तो  धरती माँ  को  कष्ट  दिया  दूसरे   अपने  अहंकार  की  पूर्ति  के  लिए  संसार  में  बेवजह  के  युद्ध , हमले , दंगे  आदि  होते  हैं   l   निर्दोष  लोग  मारे  जाते  हैं  l   उनकी  आहों  से  पूरे  वायुमंडल  में  नकारात्मकता  भर  गई  है  l   एक  तो  मनुष्य  पर  दुर्बुद्धि  का  प्रकोप  है  और  फिर  हाथ  में  हथियार  हों   ?---       अभी  भी  वक्त  है  l   गीता  में  कहा  गया  है    भगवन  बड़े  से  बड़े  पापी  का  भी  उद्धार  कर  देते  हैं   ,  हम  उनकी  शरण  में  जाये , प्रेम  और  भाईचारे  से  रहने  का  संकल्प  लें  , विश्व - प्रेम , विश्व - बंधुत्व  का  भाव  हो  l   मृत्यु  को  सामने  देख  कर  भी  अब  हम  न  सुधरें   तो  कब  सुधरेंगे  ?  ?