5 February 2021

WISDOM ------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---  ' लोकसेवियों  के  पतन  का  कारण  मुख्य  रूप  से  तीन  दुष्प्रवृत्तियाँ  हैं  ---- वासना , तृष्णा  और  अहंता  l   वासना  और  तृष्णा  की  दौड़  तो  व्यक्ति  को  थकाती   है  ,  पर  अहंता   का मुख  तो   सुरसा  के  मुख  से  भी  ज्यादा  विशाल  है  ,  जो  व्यक्ति  का  सर्वनाश  किए   बिना    चैन    से      नहीं  बैठता  l    अहंता  के  भूखे  को  दुनिया  जहान   की  सारी  प्रशंसा , सारा  यश , सारा  मान - सम्मान ,  सारा  बड़प्पन,  सारे   अधिकार ,  सारी  सत्ता   अपने  ही  हाथों  में   देखने  का  पागलपन   सवार  हो  जाता  है   l  '    आचार्य श्री  आगे  लिखते  हैं  ---- " इस  संसार  के  इतिहास  में  सबसे  ज्यादा  अपराध   इसी  अहंता  के  कारण  हुए  हैं  l   रावण  से  लेकर   कंस , दुर्योधन    को  उनकी  अहंता  ही  ले  डूबी   l  अहंकार   ही  है   जिसके  कारण  लोग  आपस  में  लड़ते  हैं   l   प्रतिशोध , उत्पीड़न   इन  सबका  कारण  अहंता  ही  है   l  कथा  चाहे  रावण  की  हो  या  हिरण्यकशिपु   की   या    सिकंदर ,  तैमूरलंग , चंगेज  खां ,  शिशुपाल  की    ----  इन  सबके  अंत  का  कारण   उनके  सिर   पर  सवार  अहंता  ही  रही  l   यह  अहंता  ही  है  जो  इन  चक्रवर्ती  सम्राटों  को  ले  डूबी  l   आचार्य श्री  कहते  हैं ---- इस  दुष्प्रवृति  से  सदा  व  निरंतर  सावधान  रहने  की  आवश्यकता  है   l '