किसी का भी त्याग और बलिदान व्यर्थ नहीं जाता । कम समझ लोग चाहे उसके प्रभाव को अनुभव न कर सकें और अदूरदर्शी भी तुरंत उसका कोई परिणाम न देखकर उसे व्यर्थ बतलाने लगें , पर तत्ववेता इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि इस जगत में छोटे - से - छोटे काम की भी प्रतिक्रिया अवश्य होती है । तब कोई महान त्याग अथवा नि:स्वार्थ बलिदान व्यर्थ चला जाये यह प्रकृति के नियमों के विरुद्ध है । हमारा कर्तव्य है कि हम सदा शुभ और श्रेष्ठ कर्मों में ही अपनी शक्ति खर्च करें l सुख - दुःख , हांनि - लाभ , सफलता - असफलता का बहुत कुछ आधार तो तत्कालीन परिस्थितियों पर निर्भर करता है , पर हम कुछ कर्म करेंगे तो उसका फल शीघ्र या विलम्ब से मिलेगा अवश्य ।