25 November 2022

WISDOM -----

     पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " दूसरों  का  सहारा  लेकर  बहुत  ऊँचे  पहुंचे  हुए  लोगों  में   वो  साहस  और  द्रढ़ता  नहीं  होती   जो  अपने  आप  विकसित  हुए   व्यक्ति  में  स्थायी  रूप  से  होती  है  l  सफलता  की  मंजिल  भले  ही  देर  से  मिले   पर  अपने  पैरों  की  गई  यात्रा  -विकास यात्रा  अधिक  विश्वस्त  होती  है  l  संसार  में  कार्य  करने  के  लिए  स्वयं  का   विश्वासपात्र  बनना  आवश्यक  है  l  आत्म शक्तियों  पर  जो   जितना  अधिक  विश्वास  करता  है  ,  वह  उतना  ही  सफल  और  बड़ा  आदमी  बनता  है  l  "   एक  कथा  है ---- किसी  चिड़िया  ने  चोंच  में  दबाकर   पीपल  का  एक  बीज   नीम  के खोखले  तने  में  डाल  दिया  l  वहां  थोड़ी  मिटटी  , थोड़ी  नमी  थी  l  बीज  उग  आया   और  धीरे -धीरे  उस  वृक्ष  से  ही  आश्रय  लेकर  बढ़ने  लगा  l   सीमित    साधनों  में  वह   पीपल  का  पौधा   थोड़ा   ही  बढ़कर  रह  गया  l   एक  दिन  उसने  बड़े  वृक्ष  को   डांटते  हुए  कहा ---- " दुष्ट  !  तू   स्वयं  तो  आकाश  छूने  जा  रहा  है   और  मुझे  थोड़ा  भी  बढ़ने  नहीं  देता  l  अब  तूने  शीघ्र  ही  मुझे   विकास  के  और  साधन  न  दिए   तो  तेरा  सत्यानाश  कर  दूंगा  l  "  नीम  के  वृक्ष  ने  समझाया  ----" मित्र  !  औरों  की  दया  पर  पलने  वाले   इतना  ही  विकास  कर  सकते  हैं   जितना  तुमने  किया  है  l  इससे  अधिक  करना  हो  तो   नीचे  उतरो   और  अपनी  नींव  आप  बनाओ  ,  अपने  पैरों  पर  खड़े  हो  l  "  पौधे  से  वह  तो  नहीं  बना  ,  हाँ , वह   उसे  कोसने  अवश्य  लगा   लेकिन  नीम  के  वृक्ष  को  इतनी  फुरसत  कहाँ  थी  कि   वह  पीपल  के  पौधे  की  गाली -गलौज  सुनता   l  एक  दिन  हलकी  सी   आंधी  आई  l  नीम  का  वृक्ष  थोड़ा  ही  हिला  था  ,  पीपल  के  पौधे  की  नींव  कमजोर  थी   अत"  वह  धराशायी  होकर  मिटटी  चाटने  लगा  l  उधर  से  एक  राहगीर  निकला   l  उसने   नीम  के  वृक्ष  की  ओर  देखा  और  उसके   खोखले  तने  से  गिरे  हुए    पीपल  के  पौधे  को  देखा   और  धीरे से  कहा --- "  जो  परावलंबी  हैं  ,  औरों  के  आश्रय  में  बढ़ने  की  आशा  करते  हैं  ,  उनकी  अंत  में  यही  गति  होती  है  l "    आचार्य श्री  लिखते  हैं ---- "जो  दूसरों  के  सहारे   उठते  हैं  उन्हें   बात -बात  पर  गिर  जाने  का   भय  बना  रहता  है  l  अपने  आप  बढ़ने  में  सच्चाई  और  ईमानदारी   रहती  है  ,  वह  घबराता  नहीं  , परेशान  भी  नहीं  होता   l