28 August 2022

WISDOM ----

   लघु -कथा --- एक  दिन  विन्ध्याचल  प्रदेश  के  राजा  के  दरबार  में  तीन  व्यापारी  अपनी  फरियाद  लेकर  उपस्थित  हुए   और  बोले ---- "महाराज  ! हम  आपके  राज्य  में  व्यापार  करने  आ  रहे  थे  कि  हमें  मार्ग  में  डाकुओं  ने  लूट  लिया  l  हमारे  पास  लेशमात्र  भी  धन  नहीं  है  ,  कृपया  हमारी  मदद  कीजिए  l "  राजा  ने  उन  तीनों  को  एक -एक  बोरी  गेहूँ  देने  का  आदेश  दिया  l  गेहूँ  देते  समय  राजा  बोले  -- "  इस  बोरी  के  गेहूँ  को  स्वयं  ही  साफ  करना  और  स्वयं  ही  उपयोग  में  लाना  l  न  किसी  को  देना  और  न  किसी  की  मदद  लेना  l  एक  माह  बाद  मुझसे  पुन:  मिलना  l " उनमें  से  दो  व्यापारी  आलसी  थे   तो  उन्होंने  गेहूँ  साफ  करने  का  श्रम  न  कर  के  ,  उस  गेहूँ  को  बेच  दिया  l  तीसरा  व्यापारी  परिश्रमी  था  ,  उसने  गेहूँ  को  साफ  करना  शुरू  किया   तो  उसे  बोरी  में  नीचे   एक  अनगढ़  हीरा  मिला  l  उसने  उसे  तराशकर  अपने  पास  रख  लिया  l  एक  माह  बाद  तीनों  व्यापारी  राजा  के  समक्ष  हाजिर  हुए  तो  आलसी  व्यापारियों  ने  राजा  से  पुन:  धन  की  मांग  की  ,  परन्तु  तीसरे  व्यापारी  ने  तराशा  हुआ  हीरा  राजा  को  भेंट  किया  l  राजा  बोले ---- " यह  तुम्हारा  ही  है  ,  इसे  बेचकर  नया  कारोबार  आरम्भ  करो  l "  इसके  बाद  राजा  दूसरे  व्यापारियों  से  बोले ---- "ऐसे  ही  रत्न  तुम्हारी  बोरियों  में  भी  थे  ,  परन्तु  श्रम  का  अनादर  करने  के  कारण  तुम  उनसे  वंचित  रह  गए  l  "  सत्य  यही  है  कि  पुरुषार्थ  के  अभाव  में  मनुष्य  दीन -हीन  बना  रहता  है  l  

WISDOM

  खलील  जिब्रान  ने  एक  छोटी  सी  कथा  लिखी  है  -- इस  कथा  में  उन्होंने  लिखा  है  कि   उनका  एक  मित्र  अचानक  एक  दिन  पागलखाने  में  रहने  चला  गया  l  वह  जब  उससे  मिलने  गए   तो  उन्होंने  देखा  कि  उनका  वह  मित्र  पागलखाने  के  बाग  में   एक  पेड़  के  नीचे   बैठा    मुस्करा  रहा  था  l  पूछने  पर  उसने  कहा ---- " मैं  यहाँ  बड़े  मजे  से  हूँ  l  मैं  बाहर  के  उस  बड़े  पागलखाने  को  छोड़कर  इस  छोटे  पागलखाने  में  शांति  से  हूँ  l  यहाँ  पर  कोई  किसी  को  परेशान  नहीं  करता  l  किसी  के  व्यक्तित्व  पर  कोई  मुखौटा  नहीं  है  l  जो  जैसा  है  , वह  वैसा  ही  है  l  न  कोई  आडंबर  है  और  न  कोई  ढोंग  है  l "   उसने  खलील  जिब्रान  को  और  आश्चर्य  में  डालते  हुए  कहा  --- " मैं  यहाँ  पर  ध्यान  सीख  रहा  हूँ  ,  क्योंकि  मैं  यह  जान  गया  हूँ  कि  ध्यान  ही  सभी  तरह  के  पागलपन  का  स्थायी  और  कारगर  उपचार  है  l "