7 March 2024

WISDOM ------

  महर्षि  व्यास जी   ने  अठारह  पुराण  और  महाभारत  जैसे  ग्रन्थ  लिखे  ,  फिर  भी  उन्हें  शांति  नहीं  मिली  l  वे  अपने  आश्रम  में  बहुत  उदास  और  चिंतित  थे  l  तभी  देवर्षि  नारद  वहां  पहुंचे   और  उनकी  उदासी  व  चिंता  का  कारण  पूछा  l   व्यास जी  ने  कहा --- " हे  देवर्षि  !  मेरी  चिंता  का  कारण  यही  है  कि  मैंने  इतना  सब  कुछ  लिखकर   मानव  को  मानवता  का  सन्देश  दिया  ,  तो  भी  मनुष्य  को  ऐसी  सद्बुद्धि  नहीं  मिली  कि  वह   सुखमय  जीवन  जी  सके  l  वह  आज  भी  उसी  तरह  भटक  रहा  है   और  परोपकार  करने  के  बजाय   एक   दूसरे  को  परेशान  करने  में  लगा  है  l  समझ  में  नहीं  आता  कि  मैं  क्या  करूँ  ?  "    देवर्षि  ने  कहा  --- "  आपने  पुराणों  में ज्ञान -विज्ञान   की  बातें  तो  लिखी  हैं  ,  किन्तु  भक्तिरस  से  परिपूर्ण  साहित्य   नहीं  लिखा  l  अत:  आप  भक्तिरस  की  रचना कीजिए  ,  जिससे  जनता का  कल्याण  होगा  और  आपको  भी  शांति  मिलेगी  l "   तब  व्यास जी  ने  भगवान  के  समस्त  अवतारों  की  लीला  का  वर्णन  करते  हुए  श्रीमद् भागवत  पुराण  की  रचना  की  l   आज   अनेक  कथावाचक  हैं   जो  श्रीमद् भागवत  की  कथा  सुनाते  हैं  और  लाखों  की  संख्या  में  लोग  उन  कथा  को  सुनते  भी  हैं   लेकिन  किसी  के  जीवन  पर  उस  कथा  का  कोई  असर  नहीं  पड़ता  l  सब  भौतिक  सुख   की  ओर  भाग  रहे  हैं  l   लेकिन  शांति  कहीं  नहीं  है  l  सब  कुछ  होते  हुए  भी  लोग  क्यों  परेशान  है   ?  इसका  प्रमुख  कारण  है ---- दुर्बुद्धि  l    लोगों  का  विवेक  और  सद्बुद्धि  जाग्रत  हो  इसके  लिए  पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी  ने  ' प्रज्ञा -पुराण  '  की  रचना  की   और  उसमे    लघु  कथाओं  के  माध्यम  से  हमें  जीवन  जीने  की  कला  सिखाई  है  l  सभी  के  जीवन  में  एक  न एक  समस्या  अवश्य  ही   रहती  है  , परेशानियों  का  अंत  नहीं  है  ,  लेकिन  यदि सद्बुद्धि  है  तो   मनुष्य  विभिन्न  समस्याओं  से  घिरा  होने  पर  भी  तनाव रहित  शांत  जीवन  जी  सकता  है  l