14 October 2018

WISDOM -----------------

  एक  कुष्ठी  भिक्षा  मांग  रहा  था  l  उधर  से  जो  कोई निकलता  ,  कुष्ठी  अपना  हाथ  फैलाकर  कहता  ,  जो  दे  उसका   भी  भला  , और  जो  न  दे  उसका  भी  भला    l   एक  युवक  ने    सिक्का  उसके  हाथ  पर  डालते  हुए  कहा --- " क्यों  भाई  !  तुम्हारा पूरा  शरीर  गला  जा  रहा  है  l  हाथ और  पैर  की  उँगलियाँ  तक  ऐसी  नहीं  रहीं   कि कुछ  कार्य  कर  सको  l  फिर  इस  कष्ट  में   जीवन  जीने  से क्या  लाभ  ?   यह  तो जीवित  अवस्था  में   लाश  ढोने जैसी  स्थिति  है  l
  कुष्ठी  ने  कहा ------ मित्र  !  तुम  बात  तो  ठीक  कहते  हो   l  पर  मुझे  ऐसा  लगता  है  कि  ईश्वर  इसलिए  जीवित  रखे  हुए  है  कि  लोग  कम  से  कम  मुझे  देखकर  समझ   सकें  कि----- इस  संसार में  कभी  भी   तू  मेरे   जैसा   हो  सकता    है   l  अत:  इस  संसार  में   काया  की  सुन्दरता  का  घमंड  करने  से  कोई  लाभ नहीं  है   l