कर्म फल को समझाने वाली एक पौराणिक कथा है ---- एक बार महर्षि वसिष्ठ श्रीराम को उपदेश दे रहे थे l इस बीच वे लघुशंका हेतु गए l लघुशंका के दौरान वे जोर से हँसे l रामचंद्र जी ने सोचा इतने बड़े महर्षि लघुशंका के दौरान हँस रहे हैं ! क्या इन्हे इतना ज्ञान नहीं है कि इस समय कोई क्रिया नहीं करनी चाहिए l जब लौटकर आए तो श्रीराम ने पूछा --- " भगवन ! क्या बात थी आप हँसे क्यों ? ऐसे समय आपको हँसी आना किसी विशेष रहस्य का कारण है ? " महर्षि बोले ---- " मैं एक दृश्य देखकर हंस पड़ा l एक चींटा नीचे नदी के प्रवाह में बहा जा रहा था l वह चींटा नौ बार इंद्र पद पर रह चुका है , पर अपने भोग के कारण चींटे की योनि को प्राप्त हुआ है l " जब इंद्र पद प्राप्त करने वाले की यह स्थिति है तो मनुष्यों को होश में रहकर कर्म करना चाहिए l
29 January 2021
WISDOM ---- अपने लक्ष्य को पाने के लिए सर्वाधिक महत्व की बात है कमिटमेंट l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " कमिटमेंट अर्थात जो हम कहते हैं , उसे निभाना आना चाहिए l कमिटमेंट लक्ष्य प्राप्ति का उत्तम साधन है l जो अपने दिए वचन पर अडिग रहता है , वही प्रामाणिक होता है l ऐसे व्यक्ति को सहयोग व सहायता भी मिलती है और उसके लिए सफलता का द्वार खुल जाता है l वचन दिया है तो उसे निभाना चाहिए l सफलता के लिए यह एक अपरिहार्य शर्त है l " आचार्य श्री लिखते हैं - लक्ष्य के लिए चल पड़े हो तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए l आगे की ओर आने वाली हर कठिनाई का डटकर सामना करना चाहिए l पीठ दिखाने वाले कायर कहलाते हैं और उनका उपहास उड़ाया जाता है , जबकि चुनौती का सामना करने वाले बहादुर कहे जाते हैं और उन्ही के सिर पर सेहरा सजता है l हर चुनौती हमें एक नई सीख दे जाती है कि किस प्रकार हम अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाएं l अत: हमें कभी डरना नहीं चाहिए तथा सूझ - बूझ के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए l "