28 July 2019

WISDOM ---- विनोबा भावे का सच्चा धर्म

 विनोबा सच्चे  धर्म  का  आचरण  करने  वाले  थे  l  वे  उपरी  दिखावा  और  ढोंग  से  कोसों  दूर  थे  l  बिहार  का  भ्रमण  करते  हुए  जब  वे  देवघर  पहुंचे  तो  कुछ  लोगों  ने   वैद्द्यनाथ  धाम  के  मंदिर  में  जाने  को  कहा   l  विनोबा  ने  उत्तर  दिया  कि मेरे  साथ  तो  हरिजन  भाई  भी  जाते  हैं  , यदि  मंदिर का  पुजारी  राजी  होगा  तभी  जाऊँगा  अन्यथा  नहीं   l  पुजारी  ने  पहले  तो  हाँ  कर  दी  पर  जब  वे  अपनी  समस्त  मंडली  के  साथ  पहुंचे  तो  मंदिर  वालों  ने   मारपीट   शुरू  कर  दी   l   इसी  तरह  केरल  के  गुरुवयूर  मंदिर  में  पहले  तो  उन्हें  आमंत्रित  किया  लेकिन  जब  पुजारी  को  मालूम  हुआ  कि  उनके  साथ  एक  ईसाई  है  तो  मना  कर  दिया   l     लेकिन  कर्नाटक  में  गोकर्ण  महाबलेश्वर का  प्रसिद्ध  मंदिर  है  वहां  के  पुजारी  कि  सहमति  से  एक  भूदानी  कार्यकर्त्ता  सलीम  के  साथ  दर्शन  किये  l 
पुंडरीक  मंदिर  वालों  ने  उन्हें  लिखित  में   निमंत्रण  दिया   तब  उन्होंने  अपने  हिन्दू , मुस्लिम , ईसाई  सभी  कार्यकर्ताओं    के  साथ  दर्शन  किये   l  उनके  साथ  जर्मनी  कि  लड़की  हेमा  व  बीबी  फातमा  भी  थी  l  इसी  तरह   अजमेर  की  ख्वाजा  साहब  की  दरगाह  वालों  ने  उन्हें  बुलाया   तो   अपने  सर्वोदय  सम्मलेन  के  दस  हजार  प्रतिनिधियों  के  साथ  वे  दरगाह  पहुंचे  और  वहां  उन्होंने  गीता  की  प्रार्थना  की   l  दरगाह  वालों  ने  उनका  बड़ा  आदर  किया  और  पगड़ी  बाँधी  l 
 भगवान  की  उपासना  के  सम्बन्ध  में  वे  कहा   करते  थे  --- " जब  ये  भूखे  प्यासे  , दरिद्र नारायण  हमारे  सामने  हैं  और  हम  उनकी  तरफ  से  निगाह  फेरकर  पत्थर  की  मूर्ति  के  लिए  घर  बनाये  , कपडे  पहनाएं , भोग  लगायें  , तो  कैसे  चलेगा  ?  हमारा  आज  का  धर्म   तो  यही  है  कि  हम  इस  भूखे - नंगे  और  सर्दी  से  ठिठुरने  वाले  दरिद्र  नारायण  को  खिलाएं - पिलायें  , उसे  कपड़े  पहनाएं  और  उनके  निवास  स्थान  की  व्यवस्था  करें  l  "