21 October 2020

WISDOM -----

     भौतिक  प्रगति  के  नाम  पर  मनुष्य  ने   सुख - सुविधाओं  के  अंबार   खड़े  कर  लिए   किन्तु  वह  पहले  की  अपेक्षा   दुःखी , परेशान , निराश  , अशांत  व   असंतुष्ट  है  l   इसका  कारण  यही  है  कि   मनुष्य  ने  मानवीय  जीवनमूल्यों   की  उपेक्षा  की  और  स्वार्थ , अहंकार ,  ईर्ष्या , द्वेष   में  उलझकर    संवेदना  को  भूल  गया  l   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  का  कहना  है --- ' इस  संसार  की  समस्त  समस्याओं  का  एकमात्र  हल  संवेदना  है  l   संवेदनशील  व्यक्ति  कभी  हिंसा  के  मार्ग  पर  नहीं  चलता  l  '   एक  प्रसंग  है ------  कौशांबी   के  राजगृह  में  कारू  कसूरी  नामक  कसाई  रहता  था  l   वह  पशुओं   का  मांस  बेचकर  अपनी  जीविका  चलाता   था  l   राजगृह  में  बौद्ध  संत  आते  रहते  थे  l   संत  किसी  भी  प्रकार  की  हिंसा  न  करने  की  प्रेरणा  दिया  करते  थे  l   कारू  कसूरी  कहता  था  --- मैं  अपने  पुरखों  के  धंधे  को  कैसे  छोड़  दूँ  ?  यदि   मैं  हिंसा  न  करूँ   तो  खाऊंगा  क्या  ?  जब  कारू   कसाई  वृद्ध  हो  गया  तो   उसने  तलवार  अपने  बेटे  सुलस   को  सौंप  दी  l  कसाइयों  की  पंचायत  में  सुलस   से  कहा  गया  कि   कुलदेवी  की  प्रतिमा  के  समक्ष   भैंसे  की  बलि  दो  l  सुलस   का  हृदय   पशुओं  के  वध  के  समय  उनकी   छटपटाहट   देखकर   द्रवित  हो  उठता   था  l   अत:  उससे  तलवार  न  उठी  l   मुखिया  ने  दोबारा  उससे  कहा --- " बेटे  ! यह  हमारी  कुल  परंपरा  है  l  देवी   को प्रसन्न  करने  के  लिए   रक्त  निकालना   पड़ता  है  l  "  सुलस   ने  भैंसे  की  जगह   अपने  पैर   पर  तलवार   से  वार   कर  दिया  l   पैर   से  खून  बहने  लगा  l   ऐसा  करने  का  कारण  पूछने  पर   सुलस   बोला ---- " यदि  कुलदेवी  को  रक्त   की चाहत  है   तो  किसी  निर्दोष  का  खून  बहाने  से  बेहतर  है  कि   वे  मेरा  ही  रक्त  स्वीकार  कर  लें  l   उसका  उत्तर  सुनकर  कारू  कसाई   का  हृदय   द्रवित  हो  उठा   और  उस  दिन  के  बाद  उस    परिवार  में   पशुवध  बंद  कर  दिया  गया  l