2 November 2019

WISDOM ------ ' काल ' सर्वोपरि है l

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है ---- " व्यक्ति  की महत्ता  नहीं  है  l महत्ता  है  उसकी   अंतरात्मा  में स्थित  अंत:शक्ति  की  l  जो  सदा  अपनी  अंत:शक्ति  को  विकसित  करता  है   और  उसे  अहंकार  से  बचाए  रखता  है  , वही  महाकाली  का  यंत्र  बनता  है  l  वही  राष्ट्र  एवं    विश्व  के  निर्माण - कार्य   में   सर्वोपरि  एवं  सबसे  आगे  खड़ा  रहता  है  l "
   अहंकार  से  अंत:शक्ति  का   घोर  दुरूपयोग  होता  है  l  इसी   अहंकार  के  कारण  ऐसे सम्राज्य  , जो  कभी   अस्त   नहीं  होते  जान  पड़े  ,  काल  के  विराट  पहियों  में  दबकर  विलीन  हो  गए  l
  आचार्य श्री  ने  आगे  लिखा  है  --- "  काल से  बढ़कर  कोई  नहीं  है  l  इनसान  तो  इसका  खिलौना  एवं  निमित  मात्र  है  l  वे , जो  स्वयं  पर  गर्व  करते  हैं  कि    महान  घटनाओं  के  जन्मदाता  वही  हैं  ,  वे  बड़ी  भ्रान्ति  में  रहते  हैं  ,  क्योंकि  प्रत्यक्ष  में  उन्हें  यह  कार्य  स्वयं  से  संचालित  होता  हुआ  जान  पड़ता  है  l  यदि  यह  अहंकार  बना  रहे  तो  अंत  में  वे  काल  की गहरी  खाई  में  जा  गिरते  हैं   l  लेकिन  वे  लोग  जो  स्वयं  को  भगवान  का   यंत्र   मानकर  काम  करते  हैं  तथा  सारा  श्रेय  उसी  भगवान  को  देते  हुए  चलते  हैं   ,  वे  ही  जीवित  रहते  हैं    और  समाज  में  उन्हीं  की  प्रतिष्ठा  होती  है    और  ईश्वर  उन्ही  को  माध्यम  बनाकर  कार्य  करता  है  l  "