18 April 2018

WISDOM ----- हिंसा और अहिंसा का अद्भुत समन्वय करने वाले ----- भगवान परशुराम

 ' परशुरामजी  शास्त्र  और  धर्म  के  गूढ़  तत्वों  को   भली - भांति  समझते  थे   इसलिए  आवश्यकता  पड़ने  पर   कांटे  से  काँटा  निकालने , विष  से  विष  मारने  की  नीति  के  अनुसार   ऋषि  होते  हुए  भी   उन्होंने    सशस्त्र   अभियान   आरम्भ  कर  अनीति  और   अनाचार  का  अन्त  किया   l  '
    परशुरामजी   उन  दिनों   शिवजी  से  शिक्षा   प्राप्त   कर  रहे  थे  l   अपने  शिष्यों    की  मनोभूमि  परखने  के  लिए  गुरु  ने   कुछ  अनैतिक  काम  कर के   छात्रों   की  प्रतिक्रिया  जाननी  चाही   l  अन्य   छात्र   तो  संकोच  में   दब  गए  लेकिन  परशुराम  से  न  रहा  गया   l   वे  गुरु  के  विरुद्ध   लड़ने  को  खड़े  हो  गए  l  जब  साधारण  समझाने - बुझाने  से  काम  न  चला   तो  उन्होंने  फरसे  का  प्रहार  कर  डाला  l   शिवजी  का  सिर  फट  गया   पर  उन्होंने  बुरा  नहीं   माना   l  और  संतोष  व्यक्त    करते  हुए   गुरुकुल  के   समस्त   छात्रों   को  संबोधित  करते  हुए  कहा  ----- " अन्याय  के  विरुद्ध  संघर्ष  करना   प्रत्येक  धर्मशील  व्यक्ति  का   मनुष्योचित   कर्तव्य  है   l  फिर  अन्याय  करने  वाला   चाहे  कितनी  ही  ऊँची   स्थिति  का  क्यों  न  हो  l    संसार  से  अधर्म  इसी  प्रकार  मिट  सकता  है   l  यदि  उसे  सहन  करते   रहा  जायेगा   तो  इससे  अनीति  बढ़ेगी   और  इस  सुन्दर  संसार  में  अशांति  उत्पन्न  होगी   l  परशुराम  ने   अनीति  के  प्रतिकार  के  लिए   जो  दर्प  प्रदर्शित  किया  उससे  मैं  बहुत  प्रसन्न  हूँ  l "
  शंकरजी  ने  अपने  प्रिय  शिष्य  को  ह्रदय  से  लगाया    और  ' परशु '  उपहार  में  दिया   और  आशा  की   कि  इसके  द्वारा   वह  संसार   में  फैले  हुए  अधर्म  का  उन्मूलन  करेंगे   l