श्री एन्ड्रूज का जन्म 1872 में इंग्लैंड में हुआ था l छोटी आयु से ही उन्हें भारत के प्रति सहानुभूति हो गई थी l अपनी माँ से कहा करते थे --- " माँ , मैं हिन्दुस्तान जाऊँगा l " उनकी यह बात सच हुई और 20 मार्च 1904 को वे भारत आये l यहाँ उन्हें सेंट् स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली में अध्यापन करना था l दिल्ली में जब अन्य अंग्रेजों से उनका परिचय हुआ तो सबने उन्हें यही सलाह दी कि--- " भारतवर्ष में रहते हुए आप किसी ' नेटिव ' ( भारतवासी ) के दिल में यह ख्याल मत आने देना कि वह तुमसे ऊँचा है l यद्दपि आप ' पादरी ' हैं तो भी अपने को पहले 'अंग्रेज ' समझना होगा l " पर एन्ड्रूज साहब ने ऐसी ' नेक सलाह ' पर कभी ध्यान नहीं दिया l वे सदा यही उत्तर देते रहे कि " यदि हम ईसा के सच्चे अनुयायी हैं तो हमको अवश्य ही भारतवासियों के साथ समानता का व्यवहार करना चाहिए l "
घटना उन दिनों की है ------ जब सेंट स्टीफेंस कॉलेज में प्रिंसीपल का पद रिक्त था l चयनकर्ताओं के सम्मुख दो उम्मीदवार थे --- दीनबन्धु एन्ड्रूज और प्रोफेसर सुशील कुमार रूद्र l और चुनाव अधिकारी थे लाहौर के लेफ्राय l उन्होंने श्री एन्ड्रूज को बुलाकर कहा ---- " आप अपने को विजयी समझकर कार्य करने को तैयार रहिये l ऐसे महत्वपूर्ण पद पर किसी अंग्रेज की नियुक्ति ही ठीक रहेगी l l " इस रंगभेद की नीति के कारण श्री एन्ड्रूज तिलमिला उठे , उन्होंने कहा ---- " वे भारतीय हैं तो क्या , योग्यताओं के तो धनी हैं l जब आपको उत्तरदायित्वपूर्ण कार्य के लिए समिति में रखा गया है तो निष्पक्ष रहकर न्याय दीजिये l पक्षपात पूर्ण निर्णय देने से अच्छे परिणाम की आशा नहीं की जा सकती l" अंत में प्रिंसिपल के पद हेतु प्रोफ़ेसर रूद्र को चुन लिया गया l
घटना उन दिनों की है ------ जब सेंट स्टीफेंस कॉलेज में प्रिंसीपल का पद रिक्त था l चयनकर्ताओं के सम्मुख दो उम्मीदवार थे --- दीनबन्धु एन्ड्रूज और प्रोफेसर सुशील कुमार रूद्र l और चुनाव अधिकारी थे लाहौर के लेफ्राय l उन्होंने श्री एन्ड्रूज को बुलाकर कहा ---- " आप अपने को विजयी समझकर कार्य करने को तैयार रहिये l ऐसे महत्वपूर्ण पद पर किसी अंग्रेज की नियुक्ति ही ठीक रहेगी l l " इस रंगभेद की नीति के कारण श्री एन्ड्रूज तिलमिला उठे , उन्होंने कहा ---- " वे भारतीय हैं तो क्या , योग्यताओं के तो धनी हैं l जब आपको उत्तरदायित्वपूर्ण कार्य के लिए समिति में रखा गया है तो निष्पक्ष रहकर न्याय दीजिये l पक्षपात पूर्ण निर्णय देने से अच्छे परिणाम की आशा नहीं की जा सकती l" अंत में प्रिंसिपल के पद हेतु प्रोफ़ेसर रूद्र को चुन लिया गया l