श्रीमती अवन्तिकाबाई में प्राचीन और नवीन भावनाओं का इस प्रकार मिश्रण हुआ था जिससे उनका व्यक्तित्व बहुत अधिक आकर्षक और कल्याणकारी बन गया था l उन्होंने सब प्रकार के सांसारिक प्रलोभनों और तृष्णाओं को त्याग कर अपना तन - मन - धन समाज सेवा में लगा दिया था l उनका जीवन प्रत्येक भारतीय स्त्री - पुरुष के लिए मार्ग दर्शक है l उन्होंने अपने गृहस्थ जीवन की उपेक्षा न करते हुए समाज सेवा का कार्य किया और महात्मा गाँधी के आदेश पर चम्पारण में सेवा कार्य किया और राष्ट्रीय आन्दोलन में बढ़ - चढ़ कर हिस्सा लिया l बम्बई के मुख्यमंत्री बाला साहब खेर ने कहा था --" कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं कि उनकी आकृति से ही देखने वाले पर अनुकूल छाप पड़ती है l अवन्तिकाबाई उन्ही में से एक थीं l उन्हें देखते ही ' यह कौन हैं ? ' जानने की सहज इच्छा होती थी l
अवन्तिकाबाई सुशिक्षित महिला थीं , अपने पति बबनराव के साथ बम्बई में सुख - सुविधा में रहती थीं , लेकिन उन्होंने सेवा का रास्ता चुना l अपने पति के दुर्घटना ग्रस्त होकर अपाहिज हो जाने पर वे उनसे और अधिक प्रेम और सेवा करती गईं l
उनका सबसे बड़ा कार्य था --' हिन्द महिला समाज ' की स्थापना l चम्पारण से वापस आने पर उन्होंने इस संस्था की स्थापना की , इसका उद्देश्य था मध्यम श्रेणी की महिलाओं को कार्य क्षेत्र में लाना l श्रीमती सोफिया वाडिया, यमुना बाई आप्टे और स्वयं उनके पति बबनराव गोखले ने हजारों रूपये दान स्वरुप देकर ' हिन्द महिला समाज ' की स्थिति को सुद्रढ़ बनाया l , इसका उद्देश्य स्त्रियों में शिक्षा प्रसार करना था , इसमें अंग्रेजी , मराठी और हिन्दी पढ़ाने की अच्छी व्यवस्था थी l स्त्रियों को सिलाई , चित्रकला , काढ़ना का कार्य भी सिखाया जाता था , जिससे अनेक महिलाएं स्वावलम्बी हो गईं l उन्होंने इसमें पुस्तकालय , वाचनालय खोला , उन दिनों महिलाये अखबार या पुस्तकें पढ़ने नहीं आती थीं , तब अवन्तिका बाई अखबार लेकर दस - बीस स्त्रियों को एकत्रित कर उन्हें अख़बार व पुस्तक पढ़कर सुनाती थीं l गरीबों को कपड़े, प्रसूता स्त्रियों को पौष्टिक खुराक , दूध , बच्चों के कपड़े देना आदि सभी सेवा कार्य किये जाते थे l ऐसी परोपकारी संस्था जब तक कायम रहेगी वह उनके लिए उत्तम स्मारक का काम काम करती रहेगी l
अवन्तिकाबाई सुशिक्षित महिला थीं , अपने पति बबनराव के साथ बम्बई में सुख - सुविधा में रहती थीं , लेकिन उन्होंने सेवा का रास्ता चुना l अपने पति के दुर्घटना ग्रस्त होकर अपाहिज हो जाने पर वे उनसे और अधिक प्रेम और सेवा करती गईं l
उनका सबसे बड़ा कार्य था --' हिन्द महिला समाज ' की स्थापना l चम्पारण से वापस आने पर उन्होंने इस संस्था की स्थापना की , इसका उद्देश्य था मध्यम श्रेणी की महिलाओं को कार्य क्षेत्र में लाना l श्रीमती सोफिया वाडिया, यमुना बाई आप्टे और स्वयं उनके पति बबनराव गोखले ने हजारों रूपये दान स्वरुप देकर ' हिन्द महिला समाज ' की स्थिति को सुद्रढ़ बनाया l , इसका उद्देश्य स्त्रियों में शिक्षा प्रसार करना था , इसमें अंग्रेजी , मराठी और हिन्दी पढ़ाने की अच्छी व्यवस्था थी l स्त्रियों को सिलाई , चित्रकला , काढ़ना का कार्य भी सिखाया जाता था , जिससे अनेक महिलाएं स्वावलम्बी हो गईं l उन्होंने इसमें पुस्तकालय , वाचनालय खोला , उन दिनों महिलाये अखबार या पुस्तकें पढ़ने नहीं आती थीं , तब अवन्तिका बाई अखबार लेकर दस - बीस स्त्रियों को एकत्रित कर उन्हें अख़बार व पुस्तक पढ़कर सुनाती थीं l गरीबों को कपड़े, प्रसूता स्त्रियों को पौष्टिक खुराक , दूध , बच्चों के कपड़े देना आदि सभी सेवा कार्य किये जाते थे l ऐसी परोपकारी संस्था जब तक कायम रहेगी वह उनके लिए उत्तम स्मारक का काम काम करती रहेगी l