9 July 2020

WISDOM ------ परिष्कृत दृष्टिकोण ही स्वर्ग है

 मन: स्थिति  पर  ही  जीवन  के  उत्थान - पतन  का  , सुख - दुःख  का  ढांचा  खड़ा  हुआ  है  l   यदि  सोचने  का  तरीका  सकारात्मक  हो  तो   हर  परिस्थिति  में  अनुकूलता  सोची  जा  सकती  है  l
गुबरैला  कीड़ा  और  भौंरा   एक  ही  बगीचे  में  प्रवेश  करते  हैं   और  दो  तरह  के  निष्कर्ष  निकालते   हैं  --- भौंरा  फूलों  पर  मंडराता  है  ,  सुगंध  का  लाभ  लेता  है  और  गुंजन  गीत  गाता   है  l
  गुबरैला  कीड़ा   अपनी  प्रकृति  के  अनुरूप   गोबर  की  खाद  के  ढेर  को   तालाश   लेता  है   और  अपने  दुर्भाग्य  पर   रोते    हुए  कहता  है  --- संसार  में  बदबू  ही  बदबू  भरी  पड़ी  है   l  

WISDOM -----

  इस  संसार  में  धन - सम्पदा  का  बहुत  मूल्य  है  l  धन - सम्पदा  से  सब  कुछ  ख़रीदा  जा  सकता  है   l   किसी  की  बुद्धि ,  ज्ञान   , वैज्ञानिक  प्रतिभा  आदि   सभी  कुछ  धन  से  खरीद  कर  विकृत  मानसिकता  के  लोग  अपनी  महत्वाकांक्षा  पूरी  करते  हैं   l   जिसे  विकृत  कहा   जाता  है ,  वह  अति  के  धनी   लोगों  का  शौक  होता  है  l   इसी  शौक  का  परिणाम  हमें  संसार  में  देखने  को  मिलता  है  l   ईश्वर  ने  इस  संसार  में  सब  कुछ  शुद्ध , पवित्र  बनाया , कहीं  कोई  मिलावट  नहीं   l   जब  तक  इनसान   को  प्रकृति  पर , ईश्वर  की  सत्ता   पर   विश्वास  था  ,  सब  स्वस्थ  थे  ,  लोगों  के  हृदय  में  संवेदना  थी  l   लेकिन   लोगों  के  शौक  ने  बीज , वनस्पति , पशु -पक्षी  सब  में  मिलावट  कर  नई   किस्म  तैयार  कर  दी  l    इतने  इंजेक्शन , इतनी  दवाइयाँ  हो  गई  हैं  कि  नर - नारी  का  अस्तित्व  भी  खतरे  में   है  l
 ईश्वर  ने  जो  नहीं  बनाया , वह  भी  समाज  में  है  , यह  सब   विकृति  ही  है  l 
पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है  --- ' धन  के  प्रति  अत्यधिक  आसक्ति  मनुष्य  को  लाचार  बना  देती  है  और  मन  को  संकीर्णता  से  भर  देती  है  , ऐसा  होने  पर  मनुष्य  अशुभ  कर्म  करने  से  भी  नहीं  चूकता  l  जब  से  स्वार्थी  सोच  ने  राजनीति ,  धर्म , पत्रकारिता  के  क्षेत्र  में  प्रवेश  किया   तब  से  उन  क्षेत्रों  में   अनैतिकता , अराजकता  व  झूठ  का  प्रवेश  हो  गया  l   इन  क्षेत्रों  में  अब  ईमानदारी   दिखाई  नहीं  देती  l   पैसे  के  लिए  ही  लोग  कार्य  करते  हैं  और  पैसे  के  लिए  ही  पद  चाहते  हैं  l '
     धन  के  साथ  एक  बड़ी  बात  यह  भी  है   कि  धन  जिस  प्रकार  से  अर्जित  किया  जाता  है  ,  उसका  व्यय  भी  उसी  रूप  में  होता  है  l   यदि  किसी  ने  छल - कपट  से  ,  संसार  में   बुराइयां , अनैतिकता ,  अपराध  और  बीमारी  फैलाने   वाले  कार्य  कर  के  बहुत  धन  कमाया  है  ,  अब  यदि  वह   बहुत  दान  देता  है  , समाज कल्याण  के  नाम  पर    बहुत  दान , सहायता , चंदा  आदि  देता  है   तो  उसकी  यह  पाप  की  कमाई  जहाँ  भी  जाएगी  वहां  अनाचार , अनैतिकता ,  अपराध , जीवन  में  तनाव  आदि  नकारात्मकता  बढ़ेगी  l   ईमानदारी  और  परिश्रम  से  अर्जित  धन   लोगों  को  संस्कारवान   बनाता   है  ,  संसार  में  सुख - शांति   देता  है  l