12 March 2021

WISDOM ---

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी   लिखते  हैं ------' धन  और  राज्य  की  लालसा  मनुष्य  को  न्याय - अन्याय   के  प्रति  अँधा  बना  देती  है  l  लोभ  उसकी  आँखों  पर  पट्टी  बाँध  देता  है  कि   उसे   सिवाय   अपनी लालसापूर्ति  के   और  कोई  बात  दिखाई  ही  नहीं  देती  l   परन्तु  इस  प्रकार  का  आचरण  और  आदर्श  मनुष्य  को  कभी  स्थायी  रूप  से  लाभदायक  नहीं  हो  सकता   l  '   अति  की  महत्वाकांक्षा  और  अहंकार  के  कारण  ही  अनेक  राजाओं  सिकंदर , चंगेज खां   आदि  ने   दूर - दूर  के  देशों  पर  आक्रमण  किया  , अनेक  चक्रवर्ती  सम्राटों  ने   सभी  देशों  पर  अपनी  प्रभुसत्ता  स्थापित  की  लेकिन  साम्राजयवाद  एक  अभिशाप  है  l   दूसरे  को  अपने  आधीन  करने  की  लालसा  के  कारण  कभी  बड़े - बड़े  युद्ध  हुए  ,  यह  धरती  लाशों  से   पट   गई   l      समय  बदलने  के  साथ  अब  इसका  रूप  भी  बदल  गया  l   रूप  चाहे  जैसा  हो  ,  इसका  खामियाजा  हमेशा  निर्दोष  प्रजा  को  ही   भरना  पड़ता  है   l   स्वार्थ  और  अहंकार   के कारण  बुद्धि  ,  कुबुद्धि  में  बदल  जाती  है   l  छल - प्रपंच -षड्यंत्र   में  उलझ  कर  व्यक्ति  न  तो  स्वयं  चैन  से  जीता  है   और  न  दूसरों  को  चैन  से  जीने  देता  है  l 

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